जो लोग नागरिकता कानून का विरोध कर रहे हैं, वो दलित विरोधी हैं- जेपी नड्डा

देश
Updated Dec 29, 2019 | 23:03 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्षी दल सीएए कानून पर देश को गुमराह कर रहे हैं।

JP Nadda says Parties opposing CAA are anti Dalits Congress misleading minorities
जो लोग CAA का विरोध कर रहे हैं, वो दलित विरोधी हैं- नड्डा  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • सीएए कहीं भी नागरिकता लेने का प्रावधान है ही नहीं, इसमें केवल नागरिकता दी जाएगी: नड्डा
  • नड्डा बोले- सीएए पर कांग्रेस और विपक्ष के नेता देश को गुमराह कर रहे हैं
  • भारत ने हमेशा सबको पनाह दी, मुस्लिम यहां राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के जज और गवर्नर भी बने- नड्डा

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जो लोग नागरिकतां संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं वो दलित विरोधी है। नड्डा ने कहा, 'कांग्रेस और विपक्ष के नेता देश को गुमराह कर रहे हैं, उनके लिए वोट सर्वोपरि है और देश पीछे। वोटबैंक की राजनीति करने वाले लोग ही इसका विरोध कर रहे हैं।'

उन्होंन कहा, 'कांग्रेस ने बहुत सी ऐसी गलतियां और निर्णय किए हैं, जिनकी वजह से देश मुसीबत में पड़ा और उस घाव को, जो नासूर बन गया था और जिसमें से अभी तक लहू बह रहा था, उस पर मरहम लगाकर ठीक करने का काम मोदी जी की सरकार ने किया है। वो कह रहे हैं कि तुम्हारी नागरिकता चली जाएगी। जबकि इस कानून में कहीं भी नागरिकता लेने का प्रावधान है ही नहीं, इसमें केवल नागरिकता दी जाएगी।'

दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा ने कहा, 'आज दिल्ली बेहाल है, मुसीबत में है, दिल्ली को भी दृष्टि और दिशा देनी है। दिल्ली की हजारों अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का काम मोदी जी ने किया। झुग्गी के लिए भी जहां झुग्गी, वहीं मकान बनाकर देंगे, इस बात को आगे बढ़ने का प्रयास भी भाजपा ने किया है।'

नड्डा ने कहा, 'भारत ने हमेशा सबको पनाह दी, मुस्लिम यहां 11% थे आज 14.5% हैं, मुस्लिम यहां राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के जज और गवर्नर भी बने और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी बने। लेकिन पाकिस्तान में 1947 में जो 23 % जनसंख्या हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई थी, वो घटकर लगभग 3% रह गयी, कहां गए वो लोग। बांग्लादेश में भी अब मात्र 7% अल्पसंख्यक बचे हैं।'

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