CJI UU Lalit: देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिट यूयू ललित ने शपथ ले ली है। शनिवार को राष्ट्रपति भवन में उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। इस दौरान पीएम मोदी, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई गणमान्य उपस्थित थे।
आठ नवंबर तक होगा कार्यकाल
संविधान के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाते हैं। इस तरह से न्यायमूर्ति ललित का कार्यकाल तीन महीने से भी कम का होगा। वह नवंबर में 65 साल के हो जाएंगे। उनका कार्यकाल आठ नवंबर तक का होगा।
महाराष्ट्र में जन्म
महाराष्ट्र में जस्टिस ललित का जन्म 9 नवंबर 1957 को हुआ था। जून 1983 में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए बार में शामिल हुए थे। बाद में उन्होंने 1986 से सुप्रीम कोर्ट में वकालत की। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2004 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया था।
जब आए दिल्ली
जस्टिस यूयू ललित जब वह पहली बार 1980 के दशक में दिल्ली आए तो वो मयूर विहार में दो कमरों के फ्लैट में रहते थे। इसके बाद उन्होंने जल्द एक क्रिमिनल लॉयर के तौर पर अपनी पहचान बना ली। वह जिन हाई-प्रोफाइल मामलों में पेश हुए, उनमें से एक 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामला था, जिसमें अदालत ने उन्हें विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया था। अगस्त 2014 में उन्हें एक वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया।
दादा वकील-पिता जज
जस्टिस यूयू ललित के परिवार का कानून के क्षेत्र से बहुत पुराना नाता है। कानून के क्षेत्र में इनका परिवार पिछले 102 सालों से है। उनके दादा, रंगनाथ ललित, भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक नामी वकील थे। उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित ने भी वकालत को अपना पेशा बनाया और सोलापुर से ही अपनी वकालत की शुरूआत की थी। बाद में बांबे हाईकोर्ट के जज बने। जस्टिस यूयू ललित की अगली पीढ़ी भी वकालत के पेश में हैं। उनके एक बेटे और बहु दोनों वकील हैं।
तीन तलाक पर दिया था अहम फैसला
जस्टिस यूयू ललित कई बड़े मामलों की सुनवाई कर चुके हैं। उन्हीं में से एक है तीन तलाक पर प्रतिंबध लगाने की मांग पर सुनवाई। यूयू ललित उस पीठ का हिस्सा रह चुके हैं, जिसने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
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