कांवड़ यात्रा : त्रिशूल, तलवार लेकर नहीं चल पाएंगे कांवड़िए, उत्तराखंड पुलिस ने लगाई रोक 

Kanwar Yatra 2022: उत्तराखंड में यात्रा के दौरान कांवड़िये अपने साथ त्रिशूल, तलवार एवं अन्य नुकसान पहुंचाने वाले उपकरण लेकर नहीं चल सकेंगे। जिलों के आउटपोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों को ऐसे धार्मिक प्रतीक चिन्ह एवं वस्तुएं जिनसे नुकसान पहुंचने की आशंका हो, उन्हें जब्त करने का निर्देश दिया गया है।

Kanwar Yatra 2023: Uttarakhand bans swords, tridents and other harmful objects
उत्तराखंड में त्रिशूल, तलवार लेकर नहीं चल पाएंगे कांवड़िए।  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • दो साल की रोक के बाद 14 जुलाई से शुरू हो रही है कांवड़ यात्रा
  • उत्तराखंड में इस बार भारी संख्या में शिव भक्तों के पहुंचने की उम्मीद
  • यात्रा के दौरान अपने साथ तलवार, त्रिशूल लेकर नहीं चल पाएंगे कांवड़िए

Kanwar Yatra 2022: उत्तराखंड में 14 जुलाई से कांवड़ यात्रा 2023 की शुरुआत हो गई है। कोरोना संकट की वजह से 2020 और 2021 में कांवड़ यात्रा नहीं हो सकी लेकिन इस बार कांवड़ यात्रा को लेकर भगवान शंकर के भक्तों में खासा उत्साह है। इसे देखते हुए देव नगरी उत्तराखंड में भारी संख्या में कांवड़ियों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि इस बार 5 से 6 करोड़ कांवड़िए राज्य में पहुंच सकते हैं। कांवड़ियों की संख्या को देखते हुए उत्तराखंड प्रशासन ने अपनी तैयारी की है। यात्रा के दौरान शांति एवं सद्भाव बना रहे इसके लिए उत्तराखंड पुलिस ने कांवड़ियों के लिए दिशा-निर्देश एवं कुछ पाबंदियां लगाई हैं। 

जब्त होंगे नुकसान पहुंचा सकने वाली वस्तुएं
उत्तराखंड में यात्रा के दौरान कांवड़िये अपने साथ त्रिशूल, तलवार एवं अन्य नुकसान पहुंचाने वाले उपकरण लेकर नहीं चल सकेंगे। जिलों के आउटपोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों को ऐसे धार्मिक प्रतीक चिन्ह एवं वस्तुएं जिनसे नुकसान पहुंचने की आशंका हो, उन्हें जब्त करने का निर्देश दिया गया है। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मेजय खंडूरी ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान तलवार, त्रिशूल एवं लाठी लेकर चलने पर रोक रहेगी। जिलों के सभी पुलिस स्टेशनों एवं आउटपोस्ट पर तैनात पुलिसकर्मियों को ऐसी वस्तुएं जब्त करने का निर्देश दिया गया है। 

इस बार भारी संख्या में पहुंचेंगे कांवड़िए
केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के चार हिमालयी मंदिरों ने इस सालाना तीर्थयात्रा के 60 दिनों से भी कम समय में 24.3 लाख तीर्थयात्रियों की मेजबानी की है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि हम इस साल लगभग 4 करोड़ तीर्थयात्रियों की उम्मीद कर रहे हैं, जो 2019 में लगभग 3 करोड़ कांवड़ियों के राज्य में आए टर्नआउट से काफी ज्यादा है।

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पुलिस ने रूट को लेकर ऐप तैयार किया
उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट को लेकर पुलिस ने ऐप तैयार किया है। पुलिस का कहना है कि इस ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन करने से कांवड़ियों को कई प्रकार की सुविधाएं मिल सकेंगी। रूट प्लान से लेकर गाड़ियों की पार्किंग सुविधाओं के बारे में भी इस ऐप में जानकारी है। कांवड़ियों से स्वेच्छा से रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील की गई है ताकि आपात स्थिति में उन्हें ट्रैक किया जा सके।

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