कोरोना के चलते इस साल स्थगित हुई कांवड़ यात्रा, योगी समेत 3 मुख्यमंत्रियों ने लिया फैसला

देश
लव रघुवंशी
Updated Jun 20, 2020 | 22:42 IST

Kanwar Yatra: कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साल कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा के मुख्यमंत्री के बीच इसे लेकर चर्चा हुई, जिसके बाद ये फैसला किया गया।

Yogi Adityanath
बैठक में 3 मुख्यमंत्रियों ने लिया फैसला 
मुख्य बातें
  • सावन के महीने में हर साल होती है कांवड़ यात्रा
  • कोरोना के कहर के चलते इस साल कावड़ यात्रा को किया गया स्थगित
  • लाखों श्रद्धालु कावड़ यात्रा में शामिल होते हैं, ऐसे में इसे करवा पाना संभव नहीं है

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते इस साल सावन माह में होने वाली कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांवड़ यात्रा को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए विचार विमर्श किया। बैठक में सामूहिक सहमति बनी है कि इस वर्ष कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया जाए। इस साल कांवड़ यात्रा 5 जुलाई से शुरू होनी थी। इस यात्रा में करीब 5 करोड़ कांवड़िया शामिल होते हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया, 'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ आज एक बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड 19 महामारी के मद्देनजर 'कावड़ यात्रा' को स्थगित करने का निर्णय लिया गया।' 

हरिद्वार में कांवड़ियों की भारी भीड़ को देखते हुए साधु-संत भी यात्रा को रद्द करने के पक्ष में हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की थी, जिन्होंने उन्हें इस पर विचार करने के बाद निर्णय लेने की सलाह दी थी। रावत जल्द ही इस मुद्दे पर पंजाब, दिल्ली और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे।

कांवड़ यात्रा का होता है महत्व

सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। सावन में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का अधिक महत्व माना जाता है। कावंडिए इस दिन भगवान शिव को जल चढ़ाते है। कांवड़ यात्रा में हरिद्वार से जल लाना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कांवड़ यात्रा को ले जाने के कई नियम होते है कहा जाता है कांवड़ ले जाते वक्त उसे नीचे नहीं रखा जाता। उत्तराखंड के हरिद्वार में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ कावड़ लेकर उमड़ती है। लोग जल लेने के लिए दूर-दूर से नंगे पैर चलकर आते हैं। कई जगह कांवड़ियों का स्वागत किया जाता है। कांवड़ियों के लिए जगह-जगह पर खाने पीने की व्यवस्था होती है। उनके विश्राम के लिए जगह-जगह टैन्ट लगाए जाते हैं। 

इससे पहले 19 जून को आईजी मेरठ रेंज प्रवीण कुमार ने कहा था, 'मेरठ में कांवड़ संगठनों ने हमें सूचित किया है कि वे इस वर्ष कोरोना महामारी फैलने और सरकार के दिशा-निर्देशों के मद्देनजर कोई यात्रा नहीं करेंगे। वे अपने घरों में त्योहार मनाएंगे।'


 

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