नई दिल्ली : केरल सोना तस्करी मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोच्चि स्थित एक विशेष अदालत को बुधवार को बताया कि मामले के कुछ आरोपियों के संबंध डी कंपनी के सरगना दाऊद इब्राहिम से हैं। आरोपियों ने कई बार बार तंजानिया का दौरा किया जहां अंडरवर्ल्ड सरगना का एक बड़ा नेटवर्क है। वहीं, आरोपियों ने अपने खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां निवारक कानून (यूएपीए) के तहत होने वाली कार्रवाई का विरोध किया है। आरोपियों का कहना है कि तस्करी का मामला आर्थिक अपराध के अधीन आता है, यह आतंकी मामले से नहीं जुड़ा है। जांच एजेंसी ने कहा कि कुछ आरोपियों के तार देश विरोधी तत्वों के साथ जुड़े हैं।
एजेंसी ने कहा कि सोने की तस्करी से मिलने वाले मुनाफे का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और आतंकी कृत्यों में होने की संभावना संबंधी खुफिया जानकारी है। इसने कहा कि मामले में जांच को आगे बढ़ाने के लिए 180 दिन तक सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में रखा जाना अत्यंत आवश्यक है। एनआईए ने सभी आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध किया है।
एनआईए ने कोर्ट को बताया कि आरोपी नंबर 5 केटी रमीस और आरोपी नं 13 एम सफरूद्दीन ने तंजानिया की यात्रा कई बार की और वहां पर दाऊद के आदमी फिरोज से मुलाकात की। इसने फिरोज के साथ देश में हथियारों की तस्करी पर चर्चा की। इससे पहले रमीस को कोझिकोड एयरपोर्ट पर तस्करी के रिवाल्वर के साथ पकड़ा गया लेकिन इस मामले में वह किसी तरह से छूट गया।
इस बीच, मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के सचिव रहे एम शिवशंकर बुधवार को अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट पहुंचे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले में पूछताछ के लिए आईएएस अधिकारी को एक बार फिर तलब किया है।
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