Presidential Election: यहां समझें राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया, कौन-कौन डालता है वोट, क्या है वोट वैल्यू

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अनंत त्यागी
अनंत त्यागी | Anchor/Principal Corrospondent
Updated Jul 21, 2022 | 10:43 IST

Presidential Election: देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले गए। 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे घोषित होंगे। देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर कौन आसीन होगा, इसका पता आज चल जाएगा। वैसे द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव जीतना तय माना जा रहा है।

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राष्ट्रपति चुनाव 2022 के नतीजे 21 जुलाई को आएंगे।  

Presidential Election Resut today: राष्ट्रपति चुनाव 2022 के नतीजे आज घोषित होंगे। राष्ट्रपति पद के लिए मुख्य मुकाबला एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू एवं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच है लेकिन राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए मुर्मू की जीत पक्की मानी जा रही है। राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा, राज्यसभा एवं विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति चुनाव होता कैसे होता है, और सदस्यों के वोट की कितनी हैसियत है और नंबर गेम कैसे तय होता है।

कौन वोट डाल सकता है

राष्ट्रपति को चुनने के लिए लोकसभा के 543  सदस्य, राज्यसभा के 233 सदस्य और 4120 विधायक हिस्सा लेंगे। हालांकि लोकसभा में 03 और राज्यसभा में फिलहाल 16 जगहें खाली हैं लेकिन जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव तक ये सीटें उपचुनाव और राज्य सभा चुनाव के जरिए भर चुकी होंगी। राष्ट्रपति चयन के लिए जो सांसद और विधायक वोट डालते हैं उन्हें इलेक्टॉरल कॉलेज यानी निर्वाचक मंडल कहा जाता है, जिसका जिक्र संविधान के आर्टिकल 54 में किया गया है। हर एक वोटर को चुनावी भाषा में इलेक्टर कहा जाता है। लेकिन यहां ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी भी सदन के नॉमिनेटेड सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकते क्योंकि ये सीधे जनता के द्वारा नहीं चुने जाते हैं। ऐसे में राज्यसभा के 12 और लोकसभा के 2 सदस्य इसमें हिस्सा नहीं लेते हैं।

वोट वैल्यू तय करने का आधार

संसदीय क्षेत्र के आकार (कितने वोटर्स या जनसंख्या है) के ऊपर निर्भर ना रहते हुए हर एक सांसद के वोट की वैल्यू एक समान होती है। लेकिन इस बार अंदाजा लगाया जा रहा है कि पिछली बार की अपेक्षा इस बार सांसदों की वोट वैल्यू घट सकती है जिसकी वजह है जम्मू कश्मीर में विधानसभा का गठन ना होना। सांसदो से इतर विधायकों के वोट की वैल्यू अलग-अलग होती है। विधायक के वोट की वैल्यू संबंधित राज्य की जनसंख्या के आधार पर होती है। मौजूदा वक्त में यूपी के विधायक के वोट का मूल्य 208 है (सबसे ज्यादा) तो सिक्किम के विधायक के वोट का मूल्य महज 7 है (सबसे कम)। यहां ध्यान ये भी रखना है कि कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण पर बेहतर काम किया है। ऐसे में उन राज्यों की वेटेज ना घटे इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार माना जाता है जो 2026 तक ऐसा ही रहेगा। 

सांसदो और विधायकों की वोट वैल्यू

विधायकों की वोट वैल्यू के लिए प्रदेश की कुल आबादी को निर्वाचित विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, जो नंबर आता है उसे फिर 1000 से भाग दिया जाता है। जो भी वैल्यू आएगी वो उस प्रदेश के विधायक की वोट वैल्यू है। 1000 से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज्यादा हो तो वेटेज में 1 जोड़ दिया जाता है। 

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सांसदों की वोट वैल्यू के लिए कुल सांसदों की संख्या (776) से कुल निर्वाचित विधायकों की कुल वैल्यु ( 5,43,231) से भाग दें तो एक सांसद के वोट की वैल्यू निकल कर आती है। जो फिलहाल 700 है। इसी हिसाब से सांसदों की वोट की कुल वैल्यू 700X776= 5,43,200 है।

चुनावी जीत का आंकड़ा

कुल वैध वोट की वैल्यू में से आधे से ज्यादा जीत दर्ज करने के लिए जरूरी होता है जिसे कोटा कहा जाता है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में जीत सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से नहीं बल्कि सबसे ज्यादा वोट वैल्यू हासिल करने से होती है। यानी चुनाव से पहले ही स्पष्ट होता है कि जीत के लिए कितनी वोट वैल्यू हासिल करनी होगी। मसलन इस चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के वोटों की कुल वेटेज 10,98,882 है, यानी जीत के लिए प्रत्याशी को 5,49,442 हासिल करने होंगे।

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