Who is Karim Lala : जानें कौन था करीम लाला, संजय राउत के एक दावे से मचा है घमासान

Who is Karim Lala : संजय राउत ने दावा है कि इंदिरा गांधी करीम लाला से जाकर मिलती थीं। इस पर काफी बवाल मच गया। यहां जानें कि आखिरकार अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला कौन था।

नई दिल्ली: शिवसेना नेता संजय राउत के एक दावे पर राजनीतिक घमासान मच गया। दरअसल, उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलती थीं। इस पर कांग्रेस ने उनसे बयान वापस लेने और माफी मांगने को कहा। वहीं बीजेपी ने भी सवाल उठाते हुए कांग्रेस को घेरा। बवाल बढ़ता देख राउत ने अपना वापस ले लिया। 

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस से हमारे मित्रों को आहत होने की जरूरत नहीं है। अगर किसी को लगता है कि मेरे बयान से इंदिरा गांधी जी की छवि को धक्का पहुंचा है या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है, तो मैं अपने बयान को वापस लेता हूं।' उससे पहले उन्होंने कहा था, 'एक समय था जब दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, शरद शेट्टी तय करते थे कि मुंबई का पुलिस कमिश्नर कौन होगा और मंत्रालय में कौन बैठेगा। इंदिरा गांधी करीम लाला से जाकर मिलती थीं। हमने अंडरवर्ल्ड देखा है, अब यह सिर्फ 'चिल्लर' है।'

राउत ने सफाई देते हुए कहा, 'विपक्ष में होने के बावजूद मैंने हमेशा इंदिरा गांधी, पंडित नेहरू, राजीव गांधी और गांधी परिवार के प्रति जो सम्मान दिखाया, वह किसी ने नहीं किया। जब भी लोगों ने इंदिरा गांधी पर निशाना साधा है मैं उनके लिए खड़ा हुआ हूं। करीम लाला से मिलने के लिए कई राजनीतिक लोग आते थे। वो समय अलग था। वह पठान समुदाय का नेता था, वह अफगानिस्तान से आया था। इसलिए लोग पठान समुदाय की समस्याओं के बारे में उनसे मिलते थे।'

कौन था करीम लाला
करीम लाला का नाम अब्दुल करीम शेर खान था। उसका जन्म 1911 में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में हुआ था। 1920 में वो परिवार के साथ भारत आ गया। परिवार भिंडी बाजार की मुस्लिम यहूदी बस्ती में बस गया। 60 से 80 के दशक में वो मुंबई के तीन माफिया डॉन में से एक था। अन्य दो हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार थे। वह खूंखार पठान गैंग का नेता था। पठान गैंग अवैध जुआ (सट्टा), शराब की तस्करी, वसूली, भूमि पर कब्जा, अपहरण, हफ्ता, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग (सुपारी), नशीले पदार्थों का वितरण और जाली मुद्रा के वितरण में शामिल था।

लाला ने हाजी मस्तान और वरदराजन के साथ एक समझौता किया, ताकि मुंबई को आपस में बांट सकें, ताकि वे एक-दूसरे के बीच किसी भी संघर्ष के बिना अपनी अपराध गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से चला सकें। 70 के दशक के अंत में बीमार पड़ने के कारण लाला ने धीरे-धीरे पठान गिरोह के नेतृत्व को अपने भतीजे समद खान को सौंप दिया और फिर अपने होटल और परिवहन व्यवसाय का प्रबंधन संभाला।

करीम का अपने अन्य समकक्षों- हाजी मस्तान और वरदराजन के साथ दोस्ताना व्यवहार रहा। 1980 में लाला ने अपने भतीजे, समद खान और उसके प्रतिद्वंद्वियों साबिर इब्राहिम कासकर और दाऊद इब्राहिम कासकर के बीच शांति स्थापित करने का असफल प्रयास किया। अपने चरम के दौरान लाला अक्सर बॉलीवुड की कई हस्तियों को अपनी पार्टियों और ईद समारोहों के लिए आमंत्रित करता था। लोगों की मदद करने के लिए वो अपना दरबार भी लगाता था। 2002 में 90 साल की उम्र में उसका निधन हो गया।

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