बिहार में निजाम का चेहरा वही है लेकिन सहयोगी बदल गए हैं। सीएम नीतीश कुमार इस समय आरजेडी की मदद से सरकार में हैं। सरकार बनते ही विपक्षा दलों ने राग अलापना शुरू कर दिया कि अब जंगलराज रिटर्न्स है। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस तरह की बात होने लगी। ताजा मामला कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह से जुड़ा है। कार्तिकेय सिंह के बारे में कहा जाता है कि जिस दिन उन्हें अदालत के सामने सरेंडर करना था उस दिन वो राजभवन में शपथ ले रहे थे। लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। उनके बारे में कहा गया कि अनंत सिंह यानी छोटे सरदार ने पार्टी पर उनके नाम के लिए बेजा दबाव बनाया था। इसके साथ ही डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड से सूर्खियों में आए आनंद मोहन सिंह चर्चा में आ गए। इन दो नामों के अलावा तीसरा नाम राजन तिवारी का है जिन्हें बिहार पुलिस ने नेपाल भागते हुए गिरफ्तार किया है।
अनंत सिंह
बिहार की राजनीति में अनंत सिंह को छोटे सरकार के नाम से भी जाना जाता है। बिहार में अगर बाहुबलियों की बात करें तो इनका नाम शीर्ष पर है। यह बात अलग है कि ये खुद को पाक साफ बताते रहे हैं। अपने ऊपर लगे आरोपों को वो राजनीतिक साजिश बताते हैं। इनका नाम इस समय दो वजहों से चर्चा में है। पहला तो यूएपीए में सजा मिलने के बाद विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो गई है और दूसरा कि जब कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाया गया तो यह चर्चा सार्वजनिक हो गई कि अनंत सिंह ने अपनी पार्टी पर बेजा दबाव डाला था। हालांकि अनंत सिंह इस तरह के आरोपों से इनकार करते हैं।
आनंद मोहन
गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड से सुर्खियों में आए आनंद मोहन एक बार फिर चर्चा में हैं। 12 अगस्त को सहरसा जेल से उन्हें पटना सिविल कोर्ट में पेश होने के लिए लाया गया था। अदालत से वापसी के समय वो अपने बेटे के घर पहुंचे। बता दें कि आनंद मोहन का बेटा चेतन आनंद आरजेडी से विधायक हैं। इस तरह की तस्वीर के वायरल होने के बाद बीजेपी ने कहा कि अब आप खुद महसूस कर सकते हैं कि बिहार में जंगलराज की वापसी हो चुकी है।
राजन तिवारी
राजन तिवारी उस समय चर्चा में आए जब उन्हें नेपाल भागते हुए गिरफ्तार किया गया। दरअसल वो दशकों पुराने मामले में वांछित हैं और गैर जमानती वारंट जारी थी। राजन तिवारी गोविंदगंज विधानसभा से विधायक रहे हैं। राजनीति में आने से पहले उनका अपराध से नाता रहा है। मूलरूप से यूपी में गोरखपुर जिले के रहने वाले राजन तिवारी, श्रीप्रकाश शुक्ला गैंग के सक्रिय सदस्य रहे और उनका नाम पूर्व विधायक वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या में आया था। इनके ऊपर मुकदमा भी चला,. हालांकि बाद में सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे।
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