Kothari Bandhu: बाबरी मस्जिद की गुंबद पर भगवा लहराने बंगाल से अयोध्या तक आए कोठारी बंधु के परिवार को भूमि पूजन का निमंत्रण मिला है। उनकी बहन का कहना है कि आज भाइयों का बलिदान सफल हो गया। मंदिर को लेकर हुए विवाद पर कोठारी बंधु की बहन ने कहा कि राम मंदिर राजनीति नहीं आस्था का विषय है।
कोठारी परिवार के दो बेटे राम और शरद साल 1990 में कारसेवक के तौर पर अयोध्या गए थे लेकिन वो दोनों वापस नहीं लौटे। दंगों के वक्त उनकी मौत हो गई थी। 30 अक्टूबर 1990 को विवादित स्थल के चारों तरफ और अयोध्या शहर में यूपी पीएसी के करीब 30 हजार जवान तैनात किए गए थे। इसी दिन बाबरी मस्जिद के गुंबद पर शरद (20 साल) और रामकुमार कोठारी (23 साल) ने तत्कालीन बाबरी मस्जिद के ढांचे पर कथित तौर पर भगवा झंडा फहराया था और दो नवंबर 1990 को अयोध्या में पुलिस की गोली से उनकी मौत हुई।
बाबरी मस्जिद पर भगवा झंड़ा फहराने की जो तस्वीरें मीडिया में आईं, उनमें राम कोठारी गुंबद के सबसे ऊपर हाथ में भगवा झंडा थामे खड़े थे और शरद कोठारी उनके बगल में खड़े थे। दोनों भाई अपने एक और साथी के साथ 200 किलोमीटर की पदयात्रा करके बनारस से 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे।
कोठारी बंधुओं का अंतिम संस्कार अयोध्या के सरयू घाट पर 4 नवंबर 1990 को किया गया। 20 अक्टूबर 1990 को उन्होंने अपने पिता हीरालाल कोठारी को अयोध्या यात्रा की योजना के बारे में बताया लेकिन पिता नहीं चाहते थे कि वह जाएं। दिसंबर में उनकी बहन की शादी थी।
दोनों भाई नहीं माने और राम मंदिर आंदोलन के लिए निकल गए। वह अपने साथ पोस्ट कार्ड ले गए थे और कहकर गए थे कि रोज चिट्ठी लिखेंगे। दिसंबर 1990 के पहले सप्ताह में उनके घर एक पोस्टकार्ड पहुंचा। इसमें लिखा था- हम जल्दी वापस लौटेंगे। यह पोस्ट कार्ड जब घर पहुंचा तब उनके निधन को एक महीने बीत चुका था।
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