नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बने तनाव एवं गतिरोध को कम करने के लिए भारत एवं चीन के सैन्य कमांडरों के बीच अगले दो से तीन दिनों में बातचीत हो सकती है। समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकार के शीर्षस्थ सूत्रों के हवाले से कहा है कि एक उच्च स्तरीय बैठक जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) बिपिन रावत मौजूद थे, चीन के साथ बातचीत के एजेंडे एवं मुद्दे को अंतिम रूप दिया गया है। सभी की नजरें दोनों देशों के बीच होने वाली सैन्य स्तर की इस बातचीत पर टिकी हैं।
बातचीत में चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर देगा भारत
रिपोर्टों के मुताबिक कोर कमांडर स्तर की इस बातचीत में भारत चीन से पूर्वी लद्दाख सेक्टर से अपनी सेना पूरी तरह वापस करने और तनाव कम करने पर जोर दे सकता है। बता दें कि पूर्व लद्दाख में गत मई महीने से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। गलवान घाटी में 14 जून की हिंसक झड़प के बाद यह तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इस घटना के बाद भारत और चीन दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन समस्या का हल नहीं निकल सका।
मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत
कुछ दिनों पहले मास्को में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन के अपने समकक्ष यांग यी के साथ बैठक हुई। विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि इस बैठक में दोनों पक्ष की राय थी कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों को आपस में सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखनी चाहिए क्योंकि सीमा पर तनाव किसी के हित में नहीं है। दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में शांति एवं सौहार्द कायम करने के लिए पांच सूत्री फॉर्मूले पर सहमत हुए।
तनाव के बावजूद बातचीत कर रहे दोनों देश
सीमा पर तनाव होने के बावजूद दोनों देशों ने अपने कूटनीतिक संपर्कों को बनाए रखा है। हालांकि, भारत ने चीन को दो टूक शब्दों में कह चुका है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगा। एलएसी के ताजा हालात की जानकारी संसद को देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत शांति चाहता है लेकिन वह युद्ध के लिए भी तैयार है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अप्रैल-मई महीने से चीन ने एलएसी पर आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए 1993 एवं 1996 करारों का उल्लंघन किया।
चीन को जवाब देने के लिए भारत ने की है पूरी तैयारी
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या अपने सैनिकों एवं हथियारों को जमा किया है। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की है। गौरतलब है कि गत 29 और 30 अगस्त को चीन की सेना पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में ऊंची पहाड़ियों पर अपना नियंत्रण करने की कोशिश की लेकिन भारतीय जवानों ने अपनी मुस्तैदी से पीएलए के प्रयासों को विफल कर दिया। दोनों पक्ष ने एक दूसरे पर हवा में फायरिंग करने का आरोप लगाया। भारतीय सेना ने चीन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पीएलए गश्त करते हुए उसकी एक अग्रिम चौकी के काफी करीब आ गई थी और जब भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उनकी तरफ से फायरिंग की गई।
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