वे चेहरे जिन्होंने तेज की राम मंदिर की मुहिम, अब हुआ सपना साकार

देश
आलोक राव
Updated Aug 04, 2020 | 22:56 IST

Lalkrishna Advani's Rath Yatra for ram Temple: लालकृष्ण आडवाणी की इस रथयात्रा ने हिंदू समाज को एकजुट करने के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मुहिम को और तेज किया।

Lalkrishna Advani atal Bihari Vajpayee and other leaders intensified Ram Mandir movement in Ayodhya
लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से मंदिर अभियान में आई धार। 

नई दिल्ली: 1990 का दशक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए राजनीतिक रूप से उत्थान का समय था। हिंदुत्व की प्रखर विचारधारा के बावजूद उसका हिंदू समाज में वह पकड़ नहीं बन पाई थी जो उसकी सोच को वांछित विस्तार दे सके। ऐसे में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने उसे एक व्यापक पहचान दिलाने एवं हिंदू समाज के वृहद तबके तक उसे पहुंचाने में मदद की। लोगों को अयोध्या आंदोलन एवं राम मंदिर अभियान के बारे में जागरूक करने के लिए भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने सतिंबर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा की शुरुआत की। सोमनाथ से आडवाणी का रथ यात्रा रवाना हुई और जैसे-जैसे उनकी यह यात्रा आगे बढ़ी उन्हें हिंदू समाज का समर्थन मिलता गया। 

लालकृष्ण आडवाणी
आडवाणी की इस रथयात्रा ने हिंदू समाज को एकजुट करने के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मुहिम को और तेज किया। जिन शहरों एवं क्षेत्रों से आडवाणी की यह रथ यात्रा गुजरी उसे व्यापक जन समर्थन मिला। रथ यात्रा का स्वागत करने के लिए लोग घरों से बाहर निकले और घंटियां, थाली बजाकर और नारे लगाकर आडवाणी का स्वागत किया। आडवाणी की इस रथ यात्रा ने देश में राजनीतिक हलचल तेज की। इस रथ यात्रा को लेकर गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे हुए जिनमें कई लोग मारे गए। इन सबके बीच आडवाणी की रथ यात्रा जब बिहार के समस्तीपुर पहुंची तो तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा रोक कर उन्हें गिरफ्तार कराया। 

30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी रथ यात्रा
यह रथ यात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी लेकिन वह नहीं पहुंच सकी। बावजूद इसके भाजपा अपने रथ यात्रा के अभियान में सफल हुई। इस रथ यात्रा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदू समाज में सुगबुगाहट तेज की। मंदिर निर्माण की मुहिम और तेज हुई। लोगों के बीच भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा। साल 1989 के आम चुनाव मे 85 सीटें जीतने वाली भाजपा दो साल बाद 1991 के चुनाव में 120 सीटें जीतने में सफल हुई। रथ यात्रा की कमान तो आडवाणी के हाथों में थी लेकिन मंदिर मुहिम को आगे बढ़ान में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंहल, विनय कटियार, उमा भारती और साध्वी ऋतम्भरा का योगदान भी काफी अहम है। 

अटल बिहारी वाजपेयी
अयोध्या में मंदिर निर्माण की मुहिम को तेज करने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान अहम है। अपने भाषण कला से वाजपेयी ने लोगों में राम मंदिर के लिए श्रद्धा एवं आकर्षण की भावना प्रबल की। अपनी रैलियों में वाजपेयी राम मंदिर मुहिम का जिक्र करते थे जिसे लोगों का अपार समर्थन मिला।  साल 1989 में भाजपा ने हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में एक प्रस्ताव पारित किया और इस प्रस्ताव में उसने संकेत दिया कि वह विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राम मंदिर आंदोलन में शामिल हो रही है। बताया जाता है कि वाजपेयी पार्टी के इस रुख से सहमत नहीं थे लेकिन वह इसका विरोध नहीं कर सके। बाबरी मस्जिद विध्वंस से एक दिन पहले अयोध्या में पांच दिसंबर 1992 को वाजपेयी ने एक भाषण दिया था। कई लोग वाजपेयी के इस भाषण को उकसाने वाला मानते हैं।

विहिप, बजरंग दल की भूमिका अहम
मंदिर मुहिम को आगे बढ़ाने में विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल जैसे हिंदूवादी संगठनों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। भाजपा के थिंक टैंक गोविंदाचार्य, विहिप के अशोक सिंहल, कल्याण सिंह, बजरंग दल के विनय कटियार, भाजपा नेता उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी ने राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में मुहिम को और धार दी। राम मंदिर आंदोलन की कमान मुख्य रूप से विहिप के हाथों थीं लेकिन युवाओं को इससे जोड़ने में बजरंग दल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साध्वी उमा भारती एवं ऋतम्भरा ने देश भर में अपनी रैलियों एवं भाषणों के जरिए मंदिर मुहिम को और तेज किया। 

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