बजट सत्र के दूसरे भाग में संसद के कई मुद्दे रहे लेकिन 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म की गूंज संसद के अंदर भी दिखी। बीजेपी ने जहां कश्मीरी पंडितों पर हुए हिंसा और पलायन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया तो विपक्षी पार्टियों ने इस फिल्म को राजनीतिक बताया। गुरुवार को सत्र के आखिरी दिन बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और मौजूदा राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मुद्दे को शून्य काल मे उठाया।
सुशील मोदी ने दोषियों को सजा देने की मांग की
सुशील मोदी ने संसद में सरकार से अपील की कि कश्मीरी पंडितों के साथ उस वक्त हुए अन्याय के लिए आरोपियों को सजा हो। इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि,उस वक्त 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या, 3 लाख से ज्यादा लोगों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 200 से ज्यादा FIR हुए। कुछ बड़े मामले भी हुए लेकिन दोषियों को सजा मिलना तो दूर चार्टशीट भी नहीं फाइल हुई। हमारी मांग है कि जो मजबूत सरकार जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटा सकती है वो कश्मीरी पंडितों को न्याय भी दिला सकती है। इसलिए SIT गठित कर उसमें CBI को शामिल कर सभी मामले फिर खोले जाएं।
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'मामला भले ही पुराना लेकिन अपराध कभी मरता नहीं'
सुशील मोदी ने कहा कि मामला भले ही पुराना है लेकिन न्याय व्यवस्था में कहा जाता है कि अपराध कभी मरता नहीं है। जब सिख दंगे पर कई बार कमेटी बन सकती है? भागलपुर दंगे पर हमने बिहार में 30 साल बाद कामेश्वर यादव का मामला खुलवाया था इसलिए कश्मीरी पण्डित को इंसाफ मिलना चाहिए। ऐसा नही है कि बीजेपी के सांसद ही संसद में कश्मीरी पंडितों के मामला उठा रहे हैं बल्कि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तनखा ने भी प्राइवेट मेंबर बिल के जरिए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और न्याय दिलाने की मांग की थी।
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