Liqour Sale: चार मई का दिन जरा हटके था, ऐसा लगा कि अब तो जाम ही जहान है

देश
ललित राय
Updated May 05, 2020 | 17:06 IST

Liqour sale main source of revenue: यही वजह है कि सरकारें इसके लोभ से पीछा नहीं छुड़ा पाती हैं। लेकिन शराब की दुकानों से तस्वीर सामने आ रही है उससे लोगों में खौफ नजर नहीं आ रहा है।

Liqour Sale: चार मई का दिन जरा हटके था, ऐसा लगा कि अब तो जाम ही जहान है
शराब बिक्री को मिली है इजाजत 
मुख्य बातें
  • शराब बिक्री राज्यों के खजाने के लिए बड़ा स्रोत
  • करीब 15 से 30 फीसद राजस्व शराब की बिक्री से
  • दिल्ली में शराब पर 70 फीसद कोरोना फीस

नई दिल्ली। चार मई यानि कल सोमवार से लॉकडाउन  पार्ट 3 शुरु हुआ और इसके साथ ही देश के अलग अलग शहरों से जो तस्वीरें सामने आईं वो हैरान करने वाली थी। दुकानों पर लंबी लंबी कतारें कहीं कहीं तो कतारों की लंबाई 3 किमी से ज्यादा थी। कतारों में लगे लोगों को कोरोना का खौफ नहीं था, उन्हें तो डर इस बात का था कि दुकानों में कैद सोमसुरा की पेटियां कहीं खत्म न हो जाए और पिछले दो महीने से जो हलक सूरा को प्यासी हो गईं थी वो एक बार फिर प्यासी न रह जाए। 

शराब हासिल करने के लिए दिखा ऐसा नजारा
दिल्ली के कुछ इलाकों में पुलिस को लाठियां तक भांजनी पड़ी तो करोलबाग के एसएचओ को दुकानें बंद करानी पड़ गई। लेकिन यह तस्वीर सिर्फ दिल्ली की नहीं थी। लोगों के चेहरे और शहरों के नाम अलग अलग थे। लेकिन मकसद एक जैसा था, किसी तरह से जितना हो सके शराब की बोतलें उनकी घरों को शोभा बढ़ाएं। शराब की दुकानों पर लगे लोगों को इस बात की परवाह ही नहीं थी कि यह समय कोरोना काल का है। एक ऐसा दुश्मन जो नजर नहीं आता है। लेकिन जब वो घरों में घुसता है तो छोड़ता नहीं है। लेकिन दो गज की दूरी तार तार होती रही। नजर तो दुकान के काउंटर पर लगी थी कि कहीं पेटियां और पेटियों में रखी शराब की बोतलें काउंटर तक पहुंचने से पहले खत्म न हो जाए। 

क्या कुछ लोगों ने कहा
सोमवार को जब शराब की दुकानों पर लंबी लंबी भीड़ लगनी शुरू हुई तो सिर्फ एक ही चाहत थी कि किसी भी तरह से शराब की बोतलें उनके कब्जे में हो ताकि कल हो न हो का इंतजार न करना पड़े। यह बात अलग थी कि सरकार ने साफ कर दिया कि शराब की दुकानें भी वहीं रहेंगी, शराब तय समय पर बेची जाएगी। लेकिन भरोसा किसे था। जो लोग शराब की बोतलें हासिल कर चुके थे उनकी तरफ से दिलचस्प प्रतिक्रिया भी आई। उदाहरण के तौर पर एक शख्स का कहना था कि अब तो वो दो चार दिन तक जमकर शराब का सेवन करेगा।इसके साथ ही एक महिला ने दिलचस्प अंदाज में टिप्पणी की उसने कहा कि उसका पति दिव्यांग है और उसके लिए वो शराब लेने के लिए आई। 

जान भी जहान भी के बीच जाम भी
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या लोग पीएम नरेंद्र मोदी की उस अपील को भूल गए जिसमें उन्होंने कहा था कि इस कोरोना काल में जान है तो जहान है, उसके बाद उन्होंने कहा कि देश के लिए अब जान भी और जहान भी। यह बात अलग है कि सोमवार को जो नजारा दिखाई दिया उससे ऐसा लगा कि लोगों को यह लगने लगा कि जाम है तो जान है और फिर जहान है। 4 मई की दोपहर तक जो देश के अलग अलग शहरों में जो कुछ होना था वो हो चुका था।


सियासी निशानों के बीच हुई थोड़ी सख्ती

स्वभाव के मुताबिक राजनेताओं को बयान देने का मौका मिल गया। कुछ लोगों ने कहा कि क्या यह सही है कि लोगों को मौत के मुंह में ढकेल कर शराब की बिक्री करानी चाहिए। इस तरह के बयानों के बाद सरकार को हरकत में आना ही था वो हरकत में आई और अलग अलग तरह के फैसले किए गए जिससे संदेश दिया गया कि जाम है तो जहान नहीं है बल्कि जान भी और जहान भी पर ही कारवां को आगे बढ़ाना है। 

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