Lumpy virus cow death in India: हिंदुस्तान में अभी कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से थोड़ी निजात मिली ही थी कि अब नए वायरस ने जान लेना शुरू कर दिया है। हालांकि लम्पी नाम के इस वायरस से इंसानों को कम जबकि पशुओं को ज्यादा खतरा है। क्या है ये वायरस, कैसे फैलता है और इसके लक्षण क्या है ? आइए आपको एक-एक कर बताते हैं।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे सरहदी जिले बाड़मेर समेत राजस्थान के कई जिलों में लम्पी वायरस ने कहर बरपा दिया है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आई इस नई आफत ने तबाही मचा दी है और गायों में बढ़ती बीमारी से परेशानी बढ़ा दी है। लम्पी नाम की इस स्किन बीमारी से बाड़मेर में रोजना सैकड़ों गोवंश दम तोड़ रहे हैं। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक राजस्थान में 45 हजार से ज्यादा गाय इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुकी हैं।
कहने को तो गहलोत सरकार ने हर ग्राम पंचायत स्तर पर मृत पशुओं को 10 फीट गहरे गड्ढे में दफनाने के लिए निर्देश दिए हैं। लेकिन हकीकत ये है कि मरने वाले पशुओं को खुले में फेंका जा रहा है । आरोप है कि ग्राम पंचायतें ही नहीं नगर परिषद ही खुले में गोवंश के शवों को डाल रही हैं। बाड़मेर शहर से 15 किलोमीटर दूर रोहिली और अरिहंत नगर में इसकी बानगी देखी भी जा रही है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में लम्पी से करीब 45 हजार 63 से ज्यादा गायों की मौत हुई है। ये आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। राजस्थान में अब तक 10 लाख 36 हजार गाय लम्पी से संक्रमित हैं। 9 लाख 90 हजार गायों का इलाज चल रहा है। अब तक 5 लाख 71 हजार गाय स्वस्थ भी हो चुकी हैं। अकेले बाड़मेर जिले में लम्पी का कहर ऐसा है कि यहां की करीब 9 लाख में से 1,10,787 गौवंश लम्पी प्रभावित हैं जबकि इनमें से 19 जुलाई से 9 सितंबर तक ही 2,735 से ज्यादा गौवंश की मौत हो चुकी हैं।
क्या है लम्पी वायरस ?
GAVI के मुताबिक- 'लम्पी स्कीन डिसीज जिस वायरस के कारण होती है, उसका नाम Capripoxvirus है। ये बीमारी गायों और भैसों को होती है। ये वायरस गोटपॉक्स और शिपपॉक्स फैमिली का है। लम्पी वायरस मवेशियों में मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों के जरिए फैलता है।'
ये हैं लम्पी वायरस के लक्षण -
अगर हम इस बीमारी के लक्षणों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि जानवरों को तेजी से अपना शिकार बनाने वाला जानलेवा वायरस जब आता है तो पशुओं में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे
1. हल्का बुखार आना
2. शरीर पर दाने निकलना
3. दाने घाव में बदलना
4. जानवर की नाक बहना
5. मुंह से लार आना
6. चारा खाना कम करना
7. दूध देना कम होना
आमतौर पर 2 से 3 हफ्ते में ये संक्रमण ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इससे मौत भी हो सकती है। इस वायरस का मोर्टिलिटी रेट 1 से 5 फीसदी है। गहलोत सरकार लम्पी स्किन बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए एक तरफ तो केंद्र को पत्र लिख रही है। लेकिन दूसरी ओर खुद ही मौत के आंकड़ों को छिपाया जा रहा है। आरोप है कि लम्पी से जितनी मौतें हुई हैं। सरकार उसका 10 फीसदी ही आंकड़ा बता रही है। सरकारी आंकड़ों से कई गुना ज्यादा गाय बीमारी और मौत के आगोश में समा चुकी हैं।
खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान में लम्पी का ज्यादा प्रकोप है। बीकानेर और बाड़मेर में ही हजारों गौमाताओं की जान चली गई है। जिनके शव को बाहर फेंकने से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है।
सड़े शवों से बदबू से लोगों का जीना दूभर हो गया है
कई किलोमीटर तक बदबू फैल रही है
लोगों में बीमारी की बढ़ती आशंका
गाय का दूध लेने से कतरा रहे लोग
दूध की मांग और आपूर्ति में बढ़ा अंतर
लम्पी के आने से ऐसी ही कई दिक्कतें हैं। सरकार ने अभी तक लम्पी को महामारी घोषित नहीं किया है। मगर कई मोर्चों पर इससे लड़ने की कोशिशें हो रही हैं। मगर ये कोशिशों नाकाफी साबित हो रही है। ऐसे में कोई ठोस कदम उठाकर गौमाता को बचाना होगा।
नोट : लम्पी वायरस से पशुओं की मौत का आंकड़ा राजस्थान प्रशासन की ओर से है, हर दिन के साथ आंकड़ों में फेरबदल संभावित है। वायरस के लक्षण और असर एक्सपर्ट की राय के मुताबिक हैं।
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