मध्य प्रदेश: 'नसबंदी टारगेट' पर कमलनाथ सरकार का यू टर्न, विरोध होते ही कदम खींचे वापस

देश
रवि वैश्य
Updated Feb 21, 2020 | 16:07 IST

मध्यप्रदेश में अपने कर्मचारियों को 'नसबंदी' का टारगेट देने वाली कमलनाथ सरकार ने भारी विरोध के बाद इस संबध में जारी सर्कुलर को वापस ले लिया है, इसे लेकर विपक्ष खासा हमलावर था।

Madhya Pradesh CM Kamalnath
कमलनाथ सरकार भारी विरोध के बाद इस मामले पर बैकफुट में आ गई है 

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने अजब सा फरमान जारी किया था कि कर्मचारी हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन कराएं अन्यथा उनका वेतन काट दिया जाए। इस सर्कुलर के आने के बाद राज्य की राजनीति में इसका विरोध व्यापक तरीक से होने लगा वहीं सरकार ने अब इसको देखते हुए अपना कदम वापस ले लिया है। 

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्यकर्मियों (MPHWs) को चेतावनी दी कि वे एक व्यक्ति की नसबंदी करें और अगर वो ऐसा करने में असफल रहते हैं तो उनका वेतन काट दिया जाए। 

कमलनाथ सरकार भारी विरोध के बाद इस मामले पर बैकफुट में आ गई है और आनन-फानन में सरकार ने इस बाबत सर्कुलर को वापस ले लिया है इस संबध में नया आदेश जारी कर दिया है। 

 

 

राज्य सरकार के इस आदेश का बीजेपी ने पुरजोर विरोध किया था, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार के आदेश की इमरजेंसी से तुलना कर डाली थी।

 

 

हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन करवाने का टारगेट
खबरों के मुताबिक राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन करवाने का टारगेट दिया था। अगर कर्मचारी ऐसा करने में असफल रहते हैं तो ऐसा ना करने पर नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन ना देने की चेतावनी दी है। 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने शीर्ष जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचएमओ) को निर्देश दिया कि वे ऐसे पुरुष कर्मचारियों की पहचान करें, जिन्होंने 2019-20 की अवधि में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं की थी और उन पर "कोई काम नहीं तो वेतन नहीं" का नियम लागूं करें।  इतना नहीं जो अधिकारी ऐसा करने में विफल रहता है उसे अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हो जाएगा।

इस फरमान के बाद कर्मचारियों में आक्रोश
कर्मचारियों का कहना है कि यह ऐसा फरमान है जो उनके कार्य का हिस्सा नहीं है लेकिन फिर भी फरमान जारी किया गया। वहीं बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसकी आलोचना की है।

बीजेपी नेता हितेश बाजपेयी ने कहा, कमलनाथ जी क्या प्रशासनिक मुखिया होने के नाते एक शख्स को ला पाएंगे? यह हेल्थ वर्कस पर प्रेशर बनाने का काम है। इसका असर आदिवासियों पर बहुत ज्यादा पड़ेगा। हम इसे लेकर लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करेंगे और अपनी बात उठाएंगे।'

 

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