Maharashtra: उद्धव ठाकरे ने कहा- CAA पर चिंता की जरूरत नहीं, तो पवार बोले- CM का अपना नजरिया है

Maharashtra: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन के दलों के बीच राय अलग-अलग है। सीएए पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बयान पर शरद पवार ने प्रतिक्रिया दी है।

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CAA पर अलग-अलग हैं शिवसेना-एनसीपी के विचार 

नई दिल्ली: जब से महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से गठबंधन दलों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद देखा गया है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर भी शिवसेना के एनसीपी और कांग्रेस से विचार अलग हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर सीएए लागू हो जाता है तो किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। वहीं इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि उद्धव ठाकरे का अपना नजरिया है लेकिन जहां तक एनसीपी का सवाल है, हमने इसके विरोध में वोट किया था।

ठाकरे ने कहा, 'सीएए और एनआरसी दोनों अलग हैं और एनपीआर अलग हैं। अगर सीएए लागू हो जाता है तो किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। एनआरसी नहीं है और राज्य में इसे लागू नहीं किया जाएगा।' उन्होंने कहा कि यदि एनआरसी लागू किया जाता है तो यह न केवल हिंदू या मुस्लिम बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा। केंद्र ने NRC पर अभी चर्चा नहीं की है। एनपीआर एक जनगणना है, और मुझे नहीं लगता कि कोई भी प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होता है। 

गठबंधन के साथी दल- शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की एनपीआर पर अलग-अलग राय हैं। शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया था, लेकिन राज्यसभा में मतदान में भाग नहीं लिया। 

इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र में लोगों को सीएए, एनपीआर और एनआरसी से डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार उनके साथ है। देशभक्ति का कोई धर्म नहीं है और इसके आधार पर लेबल नहीं लगाया जाना चाहिए।

मीडिया ब्रीफिंग के दौरान मुख्यमंत्री ठाकरे ने यह भी कहा कि एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव दो अलग-अलग मुद्दे हैं और उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले को NIA में स्थानांतरित नहीं किया है। दलितों का मुद्दा भीमा कोरेगांव से जुड़ा है। मैंने इसकी जांच केंद्र को नहीं सौंपी है और न ही दूंगा। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि दलितों के साथ अन्याय नहीं होगा।

पिछले हफ्ते, पुणे की एक अदालत ने एल्गार परिषद मामले के रिकॉर्ड को मुंबई की विशेष एनआईए अदालत में  स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। पिछले महीने केंद्र ने पुणे पुलिस से मामले की जांच एनआईए को स्थानांतरित कर दी थी। 

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