मुंबई : शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने उन खबरों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया कि वे अपने भाई सुनील को उद्धव सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं। सोमवार को उद्धव ठाकरे ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया और 36 मंत्रियों ने शपथ ली। आदित्य ठाकरे भी पिता के कैबिनेट में मंत्री बन गए हैं। लेकिन संजय राउत शपथ ग्रहण समारोह में अनुपस्थित थे।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन के पीछे राउत की भूमिका अहम मानी जाती है। बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रूप इन्होंने ही अपनाया था। वही जब शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे तो ये सवाल उठे कि वो चाहते थे कि उनके भाई सुनील राउत को मंत्री बनाया जाए। सुनील राउत मुंबई में विक्रोली से विधायक हैं और उन्हें मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी।
इस पर पत्रकारों से बात करते हुए संजय राउत ने पार्टी के प्रति वफादारी के बारे में बात की। उन्होंने कहा, 'मैं और मेरा परिवार हमेशा शिवसेना के साथ हैं। हमने कुछ नहीं मांगा। हमने महाराष्ट्र में सरकार बनाने में योगदान दिया है। मेरे भाई ने कभी भी मंत्री पद की मांग नहीं की है। ये कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहें हैं।'
सुनील राउत, दो बार के विधायक, तब से इनकंपनीडो में चले गए हैं। उनके समर्थक अभी तक उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं। प्रयासों के बावजूद, इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए सुनील राउत तक नहीं पहुंचा जा सका।
रिपोर्ट है कि कई अन्य विधायक भी मंत्री पद के लिए अनदेखी किए जाने से नाराज हैं। प्रताप सरनाइक, तानाजी सावंत, सुनील प्रभु, रवींद्र वायकर और भास्कर जाधव के साथ शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए।
सोमवार को कुल 36 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। 26 ने कैबिनेट मंत्री पद की तो 10 ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को छह अन्य मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
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