किताबों और नारों में नहीं बल्कि जीवन में उपयोगी हैं महात्मा गांधी के विचार 

देश
आलोक राव
Updated Sep 19, 2019 | 18:34 IST

Mahatma Gandhi Philosophy : महात्मा गांधी के विचार आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं। दुनिया गांधी के विचारों के महत्व को समझते हुए उनके बताए गए रास्तों पर चलने के लिए तैयार है।

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दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत हैं महात्मा गांधी के विचार। 
मुख्य बातें
  • आधुनिक राजनीति के लिए ज्यादा प्रासंगिक एवं तर्कसंगत हैं महात्मा गांधी के विचार
  • दुनिया आज मान रही कि शांति एवं सद्भाव के लिए गांधी के बताए गए रास्तों पर चलने की जरूरत
  • किताबों एवं नारों से बाहर निकालकर गांधी के विचारों को जीवन में उतारना होगा

महात्मा गांधी के विचार देश और काल की सीमाओं से परे हैं। उनके विचार आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक और अनुकरणीय है। जीवन से जुड़ा शायद ही ऐसा कोई पहलू और विषय हो जिस पर गांधी जी की नजर न गई हो। आज के समय में मानव सभ्यता जिन समस्याओं, चुनौतियों एवं बुराइयों का सामना कर रही है, महात्मा ने इन सभी मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं। हिंसा, सांप्रदायिकता, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति, पर्यावरण, भाषा-मनुष्य से जुड़े सभी सरोकारों पर उन्होंने अपने विचारों के जरिए देश और दुनिया को एक दिशा देने की पहल की। आज जरूरत है कि उनके इन आदर्शों एवं विचारों को अपने जीवन में उतारने की। दुनिया आज राष्ट्रपिता के सिद्धांतो, आदर्शों एवं विचारों के महत्व को समझते हुए उन्हें अपना रही है। लेकिन उनकी जन्मस्थली भारत में उनके विचारों को व्यावहारिक जीवन से ज्यादा किताबों एवं नारों में जगह दी गई है। जबकि जरूरी है कि उनके विचारों को जीवन में आत्मसात किया जाए। 

गांधी के विचार अब केवल एक देश के थाती नहीं हैं बल्कि वे सभी के हैं। दुनिया आज गांधी के बताए गए रास्तों पर चलने के लिए तैयार है। विश्व भर में गांधी पर कार्यक्रम हो रहे हैं। कई देशों में महात्मा से जुड़े स्मारक और अध्ययन केंद्र हैं जो आज के समय में उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित करते हैं। विश्व के बड़े नेता भी यह मानते हैं कि दुनिया को शांति, सद्भाव, भाईचारा और खुशहाली के रास्ते पर चलने के लिए गांधी के विचारों को अपनाने की जरूरत है। मार्टिन लूथर, नेल्सन मंडेला, दलाई लामा और बराक ओबामा जैसे नेताओं पर गांधी के विचारों की गहरी छाप दिखी है। इन सभी ने गांधी के विचारों को अपने जीवन में उतारते हुए उनके योगदान की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। 

तिब्बत के आध्यत्मिक गुरु दलाई लामा का कहना है कि भारत की अनेक विभूतियों ने अहिंसा पर उपदेश और दार्शनिक व्याख्यान दिए लेकिन ये केवल दार्शनिक विचार हैं जिन्हें समझा जा सकता है। जबकि 20वीं शताब्दी में महात्मा गांधी ने बेहद खास तरीके से इस दर्शन को जीवन से जोड़ा। उन्होंने अहिंसा को आधुनिक राजनीति में ढालकर दिखाया, जो बहुत बड़ी उपलब्ध है। अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। गांधी जी कहा करते थे कि लोगों को अन्यायपूर्ण कानूनों का पालन करना चाहिए और इन अन्यायपूर्ण कानूनों की अवज्ञा करते हुए गांधी ने अंग्रेंजों की हुकूमत से भारतवासियों को आजादी दिलाई। 

गांधी जी का मानना था कि इन कानूनों का विरोध करते हुए लोगों को खुशी-खुशी जेल जाना चाहिए। महात्मा ने लोगों से कहा कि वे ब्रिटिश कानूनों को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करें। इन अन्यायपूर्ण कानूनों का विरोध वे रैली के जरिए, सड़कों पर लेटकर, विदेशी उत्पादों के बहिष्कार से कर सकते हैं। गांधी सख्त रूप से हिंसा के खिलाफ थे।  गांधी की विरोध की इस शैली से किंग काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, 'मानवता को यदि विकास करना है तो गांधी के बताए रास्तों पर चलना ही पड़ेगा।' 

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी मानते हैं गांधी के विचारों ने उन्हें काफी प्रेरित किया। राष्ट्रपति रहते हुए ओबामा ने अपने कार्यालय में गांधी की तस्वीर लगाई। एक समय उन्होंने कहा, 'मैंने अपने जीवन में प्रेरणा के लिए हमेशा महात्मा गांधी की तरफ देखा। वह इस बात के उदाहरण हैं कि सामान्य लोगों की एकजुटता के जरिए एक बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है।' म्यांमार में वर्षों तक नजरबंद रहीं आग सान सू की अपने संघर्ष की प्रेरणा स्रोत के रूप में महात्मा गांधी को देखती हैं। म्यांमार की इस नेता ने कहा है कि सिद्धांत एवं विचार को जीवन में कैसे उतारा जाता है, यह बात उन्होंने महात्मा गांधी से सीखी। 

गांधी आज भी आधुनिक दुनिया के लिए एक आदर्श हैं। उन्होंने दुनिया भर के राजनीतिज्ञों, सामाजिक एवं धार्मिक नेताओं को प्रेरित किया है और वे आगे भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। गांधी के विचार आज पहले से ज्यादा प्रासंगिक और उपयोगी हैं। जरूरत है कि कि उन विचारों को अपने जीवन में उतारने की तभी जाकर व्यक्तिगत, सामाजिक एवं राजनीतिक स्तर पर वांछित बदलाव देखने को मिलेंगे। हां यह भी जरूरी है कि गांधी के बताए रास्तों पर चलने के लिए साहस की जरूरत है।  

(डिस्क्लेमर: इस प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)
 

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