ममता के लिए खास है शहीद दिवस, क्या आज धनखड़ पर तोड़ेंगी चुप्पी, करेंगी बड़े ऐलान

Mamata Banerjee Saheed Diwas Rally: ममता बनर्जी के लिए 21 जुलाई बेहद खास है और वह हर साल इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाती हैं। ऐसे में उनसे 2024 के रोडमैप के ऐलान से लेकर उप राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ पर चुप्पी तोड़ने की उम्मीद है।

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ममता बनर्जी क्यों मनाती हैं शहीद दिवस  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • ममता के शहीद दिवस मनाने का नाता उनके कांग्रेस के कार्यकाल से है।
  • 2024 के लोक सभा चुनावों में पार्टी की रणनीति क्या होगा, ममता बनर्जी इसका रोडमैप पेश कर सकती हैं।
  • कई नेताओं के तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने की संभावना है।


Mamata Banerjee Saheed Diwas Rally:पिछले कुछ दिनों से चुप्पी साध रखी, ममता बनर्जी आज क्या बड़ा राजनीतिक ऐलान करेंगी। इस बात पर सभी की नजर है। ऐसा इसलिए है कि आज तृणमूल कांग्रेस प्रमुख दो साल बाद फिर से शहीद दिवस के मौके पर बड़ी रैली आयोजित कर रही है। ममता बनर्जी के लिए 21 जुलाई बेहद खास है और वह हर साल इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाती हैं। ऐसे में उनसे 2024 के रोडमैप के ऐलान से लेकर उप राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ पर चुप्पी तोड़ने की उम्मीद है।

इस बार क्यों है खास

असल में उप राष्ट्रपति चुनाव को लेकर, जिस तरह ममता बनर्जी ने चुप्पी साध रखी है, और पार्टी की तरफ से बार-बार यह कहा जा रहा है कि 21 जुलाई को ममता बनर्जी इस संबंध में औपचारिक रणनीति का ऐलान करेंगी। उसकी वजह से सभी की नजर है कि वह बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ की उम्मीदवारी पर क्या ऐलान करेंगी। खास तौर पर जब उनका, राज्यपाल के रूप में धनखड़ से 36 का आंकड़ा रहा है। इसके बावजूद भाजपा द्वारा उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए धनखड़ की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद भी ममता चुप है। यहां तक कि विपक्ष ने यह भी आरोप लगा दिए हैं कि भाजपा, तृणमूल के बीच समझौता हो गया है। 

इसके अलावा कोविड-19 की वजह से शहीद दिवस की रैली को 2 साल बाद आयोजित किया जा रहा है। इसलिए ममता बनर्जी 2024 की राजनीति को लेकर अपनी रणनीति का खुलासा कर सकती हैं। असल में जिस तरह राष्ट्रपति उम्मीदवार के ऐलान के समय ममता बनर्जी ने सक्रियता दिखाई थी, वह उप राष्ट्रपति चुनाव में नहीं दिखी है। यही नहीं महाराष्ट्र में शिव सेना की नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिरने और फिर उद्धव ठाकरे का कमजोर होना भी विपक्ष की  राजनीति के लिए बड़ा झटका हो गया है। ऐसे में ममता बनर्जी का आज का ऐलान कई अहम सियासी संदेश दे सकता है। इसके अलावा इस रैली में दूसरे दलों के कई नेताओं के टीएमसी का हाथ थामने  की भी संभावना है।

ममता क्यों मनाती हैं शहीद दिवस

ममता के शहीद दिवस मनाने का नाता उनके कांग्रेस के कार्यकाल से है। जब वह कांग्रेस की युवा नेता हुआ करती थीं, और पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी वामपंथी सरकार के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनने की कवायद में थी। साल 1993 में वामपंथी सरकार के खिलाख युवा कांग्रेस द्वारा एक विरोध रैली आयोजित की गई थी। और बंगाल पुलिस ने विरोधी रैली के दौरान फायरिंग कर दी थी, और उसमें 13 लोग मारे गए थे। ममता बनर्जी के करियर के लिए यह टर्निंग प्वाइंट था। 

इस घटना ने ममता बनर्जी के लिए भारी जन सहानुभूति पैदा कर दी थी। राज्य की युवा कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में  ममता बनर्जी एक अहम राजनीतिक चेहरा बन गई और इसी घटना के चार साल बाद उन्होंने टीएमसी का गठन किया। और फिर 2011 में वह पश्चिम बंगाल की सत्ता में आई। गोलीबारी में मारे गए लोगों को ममता शहीद कहती हैं और उनकी याद में शहीद दिवस मनाती है।

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