बीजेपी ने अपनी कार्यसमिति का ऐलान कर दिया है। खास बात यह है कि सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी और पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी को जगह नहीं मिली है। अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी वजह हो सकती है जिसके बाद ये दोनों नामचीन चेहरे जगह बनाने में नाकाम रहे हैं। वरुण गांधी को कभी बीजेपी का फायर ब्रांड नेता माना जाता था। अगर 2017 की बात करें तो यूपी में मुख्यमंत्री का युवा चेहरा बनाने की मांग उठी थी। खास बात यह है कि पार्टी में आने के बाद उन्हें तवज्जो मिली। लेकिन समय के साथ उनकी अहमियत कम भी हुई। वरुण लगातार बीजेपी के खिलाफ किसानों के समर्थन में खुलकर बोल रहे हैं। सोशल मीडिया हो या योगी को पत्र लिखने का मामला है। वरुण लगातार चर्चा में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वरुण गांधी को उनके बागी तेवरों के चलते ही ऐसी 'सजा' दी गई है।
किसानों के समर्थन में मुखर थे वरुण गांधी
वरुण गांधी किसानों के मुद्दे पर काफी समय से सरकार से अलग रूख रख रहे थे। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर भी वरुण गांधी कई दिनों ऐसे ट्वीट कर रहे थे जिसके बाद बीजेपी के लिए फजीहत भरा था। गुरुवाप सुबह वरुण गांधी ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा था कि किसानों का खून करने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।इसके अलावा उन्होंने और कई तीखे कमेंट किये थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिथुन चक्रवर्ती को जगह
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिथुन चक्रवर्ती को जगह मिली है। बताया जा रहा है कि इन दोनों शख्सियतों ने जिस तरह से बीजेपी के लिए काम किया और अपने अपने राज्यों में मजबूती दी उसका इनाम उन्हें मिला है। लेकिन जिस तरह से वरुण गांधी को हटाया गया है उससे यह संदेश देने की कोशिश की गई है कोई भी शख्स जो पार्टी के लिए असहज बनेगा उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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