मनीष तिवारी ने 26/11 को लेकर की मनमोहन सरकार की आलोचना और कहा- एक्शन को शब्दों से अधिक जोर से बोलना चाहिए था

कांग्रेस सांसद और सीनियर नेता मनीष तिवारी ने 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद एक्शन को लेकर मनमोहन सरकार की आलोचना की।

Manish Tewari criticized Manmohan Singh government on 26/11 and said – action should have spoken louder than words
कांग्रेस सांसद और सीनियर नेता मनीष तिवारी 
मुख्य बातें
  • मनीष तिवारी की चौथी पुस्तक दिसंबर में लॉन्च की जाएगी।
  • उनकी नही पुस्तक है- 10 Flash Points; 20 Years - National Security Situations that Impacted India
  • मनीष तिवारी यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुक हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और सीनियर नेता मनीष तिवारी ने 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा किए गए कामों की आलोचना की है। अपनी आगामी पुस्तक '10 फ्लैश पॉइंट्स'; 20 ईयर- राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति जिसने भारत को प्रभावित किया' ('10 Flash Points; 20 Years - National Security Situations that Impacted India') में लिखा, पूर्व केंद्रीय मंत्री का कहना है कि 26-29 नवंबर, 2008 के आतंकी हमलों के बाद भारत ने जिस तरह से कार्रवाई की, वह कमजोरी का संकेत था न कि ताकत का। हमने क्या किया उसे जोरदार शब्दों में बताना चाहिए था। वे खुद अपने ट्विटर अकाउंट पर जारी पुस्तक के अंश के अनुसार बताते हैं।

तिवारी लिखते हैं, मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद भारत की प्रतिक्रिया और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिक्रिया के बीच तुलना करते हुए तिवारी लिखते हैं कि एक समय आता है जब एक्शन के बारे शब्दों से अधिक जोर से बोलना चाहिए। 26/11 ऐसा समय था जब इसे किया जाना चाहिए था। इसलिए, यह मेरा विचार है कि भारत के 9/11 के बाद के एक्शन करना चाहिए था।

गौरतलब है कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी संगठन से जुड़े 10 आतंकवादी पाकिस्तान के कराची से नाव में सवार होकर मुंबई आए थे। उन्होंने 26 नवंबर की रात को समुद्र से मुंबई में प्रवेश किया था और विभिन्न स्थानों पर हमले किए थे, जिनमें टॉप-एंड होटल, एक रेस्तरां और एक रेलवे स्टेशन शामिल थे।

घातक हमलों में विदेशी समेत कम से कम 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे। चार दिनों में नौ आतंकवादियों को मार गिराया गया, जबकि उनमें से एक मोहम्मद आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया। बाद में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। हमलों के मास्टरमाइंड आज भी पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम घूम रहा है। 

प्रकाशक के अनुसार, यह पुस्तक, जो इस वर्ष 1 दिसंबर को लॉन्च की जाएगी, पिछले दो दशकों में भारत को प्रभावित करने वाली सुरक्षा स्थितियों को बताती है। तिवारी ने मंगलवार को ट्वीट किया कि यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरी चौथी पुस्तक शीघ्र ही बाजार में होगी - '10 फ्लैश पॉइंट्स; 20 साल - राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थितियां जिसने भारत को प्रभावित किया'। यह पुस्तक पिछले दो दशकों में भारत द्वारा सामना की गई हर प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती का निष्पक्ष रूप से वर्णन करती है।

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