1 साल की उम्र में शादी, 20 साल बाद मिली आजादी, जोधपुर पारिवारिक अदालत ने दी दखल

उसकी उम्र तो खेलने कूदने की भी नहीं थी। लेकिन प्रथा और परंपरा के मुताबिक 1 साल की उम्र में शादी हो गई। 15-16 साल की उम्र में वो राजस्थान में जोधपुर की पारिवारिक अदालत की दहलीज तक पहुंची और अब जाकर उसे न्याय मिला है।

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जोधपुर की अदालत ने बाल विवाह को किया खारिज 
मुख्य बातें
  • राजस्थान के जोधपुर का मामला
  • रसीदा गांव की रहने वाली रेखा की 1 साल की उम्र में हुई थी शादी
  • जोधपुर की पारिवारिक अदालत ने बाल विवाह को अवैध ठहराया

राजस्थान में जोधपुर के पारिवारिक अदालत के बाद रेखा बेहद खुश है। आखिर 20 साल बाद उसके चेहरे पर खुशी की वजह है। दरअसल वो लड़की जो आज 21 साल की है उसकी शादी 1 साल की उम्र में कर दी गई थी। लड़की के परिवार का कहना है कि जब 2016-17 उसने ससुराल भेजे जाने पर ऐतराज जताया तो खाप पंचायत ने 10 लाख रुपए का जुर्मना लगा दिया। शायद यह मामला कभी सामने भी नहीं आता। लेकिन पीड़ित लड़की रेखा(रसीदा गांव की रहने वाली) ने एक गैर सरकारी संगठन की मदद ली और अपनी पीड़ा व्यक्त की। एनजीओ की मदद से वो पारिवारिक अदालत की दहलीज तक पहुंची। 

मौसर प्रथा के तहत शादी
सारथी एनजीओ की ट्रस्टी डॉ कीर्ति भारती बताती हैं कि पिता के निधन के बाद लड़की की शादी एक साल के उम्र में की गई। 2002 में इलाके में मौसर प्रथा के मुताबिक लड़की की शादी की गई थी। बता दें कि इस प्रथा के तहत अगर परिवार के किसी सदस्य की मौता हो जाती है तो बच्चों की शादी की जाती है, हालांकि लड़की को उसके ससुराल तब भेजा जाता है जब वो जवान हो जाती है। 

ससुराल जाने से इनकार पर खाप ने लगाया जुर्माना
2016-17 में जब रेखा की उम्र 15-16 साल की गई तो उसके ससुराल वाले उसे गौना कराकर ले जाने के लिए  आए। लेकिन जब रेखा को पता चला कि उसका पति निरक्षर है तो उसने जाने से इनकार कर दिया। रेखा ने इस शादी को इसलिए भी इनकार कर दिया क्योंकि वो नर्स बनने की ख्वाहिश रखती थी। जब तकरार बढ़ा तो खाप पंचायत बैठी और लड़की के परिवार वाले पर 10 लाख का जुर्माना लगाया दया। लेकिन 20 साल बाद पारिवारिक अदालत ने शादी को खारिज कर दिया। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि शताब्दी बीत चुका है लेकिन बाल विवाह खत्म नहीं हुआ है। इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए हर एक शख्स को आगे आने की जरूरत है।

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