Me Too: रमानी के खिलाफ एम जे अकबर के मानहानि मामले में कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद

Me Too court verdict: मी टू मुहिम के तहत पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व विदेश मंत्री एम. जे. अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था इस मामले में फैसला आने की उम्मीद है।

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रमानी ने ‘मीटू’ मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे 

नयी दिल्ली: पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर की आपराधिक मानहानि की शिकायत के मामले में दिल्ली की एक अदालत द्वारा बुधवार को फैसला सुनाए जाने की संभावना है।रमानी ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसे लेकर उन्होंने (अकबर ने) उनके खिलाफ 15 अक्टूबर 2018 को यह शिकायत दायर की थी।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार ने अकबर और रमानी के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद एक फरवरी को अपना फैसला 10 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया था।हालांकि, अदालत ने 10 फरवरी को फैसला 17 फरवरी के लिए यह कहते हुए टाल दिया था कि चूंकि दोनों ही पक्षों ने विलंब से अपनी लिखित दलील सौंपी है, इसलिए फैसला पूरी तरह से नहीं लिखा जा सका है।

रमानी ने 2018 में सोशल मीडिया पर चली ‘मीटू’ मुहिम के तहत अकबर के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे। हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।

Me Too मुहिम ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया था

मी टू  मुहिम के तहत कई महिलाओं ने सोशल मीडिया पर अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न पर खुलकर बात की इसी कड़ी में साल 2018 में ही मी टू मुहिम के तहत पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व विदेश मंत्री एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था इस पर अकबर ने रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था इस मामले में दिल्ली की एक अदालत बुधवार को अपना फैसला सुना सकती है। अकबर ने अदालत से महिला पत्रकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि रमानी ने उनकी प्रतिष्ठा खराब करने के लिए 20 वर्ष बाद झूठे आरोप लगाए हैं। यदि यौन शोषण हुआ था तो वह इतने वर्ष चुप क्यों रहीं।

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