रंजीता झा,टाइम्स नाउ नवभारत
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। जिसमें उन्होंने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिर्फ संसद में ही नहीं, बल्कि बाहर भी विपक्षी दलों को एकजुट होना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई इस बैठक में कांग्रेस सहित 19 विपक्षी दल के नेता शामिल हुए। टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, डीएमके की ओर से सीएम एमके स्टालिन, शिवसेना की तरफ से सीएम उद्धव ठाकरे, जेएमएम की तरफ से सीएम हेमंत सोरेन शामिल हुए इसके अलावा सीपीआई, सीपीएम, एनसी, आरजेडी, पीडीपी एआईयूडीएफ आदि के नेताओं ने हिस्सा लिया। हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने बैठक से दूरी बनाई, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को न्योता नहीं दिया गया है। नीचे जानिए इस बैठक में किसने क्या कहा-
हम पिछले 1 साल से औपचारिक रूप में नहीं मिले हो लेकिन हम आपस में संपर्क में रहे हैं। आप लोगों को याद होगा हमने 12 मई 2021 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कोविड-19 वैक्सीनेशन रणनीति और कृषि कानून को लेकर पत्र लिखा था। हमारे पत्र के बाद वैक्सीन के प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में सरकार ने कुछ बदलाव किया इसका क्रेडिट वह खुद ले रहे हैं लेकिन देश को फायदा हुआ। ये सही है कि 2024 को लेकर अभी से हमें सिस्टमैटिक तरीके से और सामूहिक रूप से एक स्ट्रेटजी तैयार करनी होगी, ताकि इस सरकार से छुटकारा मिल सके और एक ऐसी सरकार बनाई जा सके जिसमें सभी के संवैधानिक अधिकारों की गारंटी मिल सके। ये एक बड़ी चुनौती है लेकिन हम सबको मिलकर यह काम करना होगा। वक्त आ गया है कि हमें देश हित में अपने निजी फायदे से ऊपर उठकर सोचना होगा।
सोनिया गांधी ने विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाकर अच्छा फैसला लिया,आज देश की स्थिति बहुत खराब है। ऐसे में हमें एक मंच पर आना होगा। जो देश का संविधान और धर्मनिरपेक्षता को बचाना चाहता है वो साथ आएं।
हमें एक साथ मिलकर सरकार के खिलाफ लड़ना होगा, हमें अपनी आंतरिक मतभेद को भुलाकर मोदी सरकार से सीधी लड़ाई लेनी होगी।
2024 में विपक्ष की क्या रणनीति होगी? उस पर अभी से तैयारी करनी चाहिए। विगत 7 वर्षों में विपक्ष एक ही तरीके से चुनाव लड़ रहा है। विपक्ष अपने एजेंडे पर चुनाव लड़ें। मुद्दों में धार और नयापन लाने की जरुरत है। बिहार और बंगाल ने दिखाया भाजपा से कैसे लड़ा जा सकता है। महंगाई, बेरोजगारी और सरकार की जनविरोधी नीतियों से मध्यम वर्ग त्रस्त है। आरजेडी ने चुनाव नतीजों के बाद से ही किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों, महंगाई और जातिगत जनगणना को लेकर सड़क से लेकर सदन और संसद तक प्रदर्शन किया है।
विपक्ष को सड़क पर आना ही होगा। जीत-हार चुनाव नतीजों के बाद से ही विपक्ष को अगले चुनाव की तैयारी करनी चाहिए। चुनाव से चंद दिन पहले ही गठबंधन होने से कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। जो भी गठबंधन और उससे संबंधित सहमति हो, वह तय समय सीमा में चुनाव से पूर्व ही बने।
विपक्ष के पास अपसंख्यक मुद्दे है लेकिन हम मुद्दों को लोगों की नाराजगी के अनुपात में भुना नहीं पा रहे है। विपक्ष में निरंतर संवाद की कमी है। राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ राज्य स्तर पर विपक्ष का साझा कार्यक्रम तय होना चाहिए। विपक्ष को एक विकल्प पेश करना चाहिए कि हम सब साथ हैं। क्या हमारा कार्यक्रम है। क्या हमारी योजना और विजन है। जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत है। उन्हें वहां ड्राइविंग सीट पर बैठाना चाहिए।
विपक्ष के सभी दल जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाए। यूपीए ने 2011 की जनगणना में आर्थिक शैक्षणिक जातीय गणना के आंकड़े इकट्ठे करवाए लेकिन बीजेपी सरकार ने उन आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया। विपक्ष को जातीय जनगणना पर एक होकर सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण मुद्दा है।
देश की आंतरिक और बाहरी दोनों ही स्थिति खराब है हम लोगों को संसद में हो रहे गतिरोध लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हो रहे हमले संवैधानिक संस्थाओं को जिस तरह से कब्जा किया जा रहा है उसे लोगों के बीच ले जाना होगा लोगों से जुड़े हुए मुद्दे को यह सरकार महत्व नहीं दे रही है। हम लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है गैर बीजेपी शासित राज्य और विपक्षी दलों की राजू के साथ हो रहे भेदभाव को जनता के बीच ले जाना होगा।
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