नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 27 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि सबसे पहले सरकार इन काले कानूनों को वापस ले उसके बाद बातचीत की जाएगी। लेकिन इन सबके बीच किसानों के साथ कृषि भवन में सरकार के साथ बातचीत हुई। जिसमें किसान संघर्ष समिति भी शामिल है। मुलाकात के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पश्चिमी यूपी के कुछ किसान नेताओं ने उनसे मुलाकात की और कहा कि मौजूदा कृषि कानूनों में संशोधन की किसी तरह की जरूरत नहीं है।
कुछ किसान संगठनों ने संशोधन की मांग को किया खारिज
किसान संघर्ष समिति, गौतम बुद्ध नगर, यूपी और भारतीय किसान यूनियन, नई दिल्ली के प्रतिनिधियों ने नए कृषि कानूनों के पक्ष में ज्ञापन दिया। उन्होंने पीएम को धन्यवाद दिया और कहा कि इन कानूनों से किसानों की स्थिति में सुधार होगा और उन्हें निरस्त नहीं किया जाना चाहिए।
शनिवार को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कृषि मंत्री से मुलाकात के बाद कहा था कि किसान नेताओं से दो या तीन दिन में बातचीत हो सकती है और उम्मीद है कि संवाद के जरिए मामले को सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि किसानों की मांगों पर केंद्र सरकार संवेदनशील है और इस बात के पक्ष में अगर किसी संगठन को कानून में खामी लगती है तो उसके बारे में वो मसौदा सामने रखे।
सरकार पर किसानों का संदेह बरकरार
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक कोई ना कोई रास्ता निकल जाएगी। लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि सरकार जिस तरह से इस मुद्दे पर आगे बढ़ रही है उससे पता चलता है कि मौजूदा सरकार ट्रिक के जरिए आंदोलन को बेपटरी करना चाहती है। किसान संगठनों की स्पष्ट मांग है कि जब सरकार बड़े पैमावे पर कानून में संशोध के लिए तैयार है तो मौजूदा कृषि कानूनों को खारिज करने में परेशानी ही क्या है।
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