1947 में आजादी से पहले भारत में 562 रियासतें थीं। आजादी के बाद इन रियासतों का भारत में विलय हुआ। इनमें से अधिकांश रियासतों ने ब्रिटिश सरकार से लोकसेवा प्रदान करने एवं कर वसूलने का ठेका ले लिया था। कुल 565 में से केवल 21 रियासतों में ही सरकार थी और मैसूर, हैदराबाद तथा कश्मीर 3 रियासतें ही क्षेत्रफल में बड़ी थीं। 15 अगस्त1947 को ब्रितानियों से मुक्ति मिलने पर इन सभी रियासतों को विभाजित भारत (भारत अधिराज्य) और विभाजन के बाद बने मुल्क पाकिस्तान में मिला लिया गया।
देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नीति कौशल के कारण हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ के अतिरिक्त सभी रियासतें भारतीय संघ में मिली। 26 अक्टूबर को कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण हो जाने पर वहां के महाराजा हरी सिंह ने उसे भारत में मिला दिया। पाकिस्तान में सम्मिलित होने की घोषणा से जूनागढ़ में विद्रोह हो गया जिसके कारण प्रजा के आवेदन पर राष्ट्रहित में उसे भारत में मिला लिया गया। वहां का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 1948 में सैनिक कार्रवाई द्वारा हैदराबाद को भी भारत में मिला लिया गया। इस प्रकार हिंदुस्तान से देशी रियासतों का अंत हुआ।
सिक्किम एक स्वतंत्र राज्य था, परंतु प्रशासनिक समस्यायों के चलते और भारत में विलय और जनमत के कारण 1975 में एक जनमत संग्रह के साथ भारत में इसका विलय हो गया। उसी जनमत संग्रह के पश्चात राजतंत्र का अंत और भारतीय संविधान की नियम प्रणाली के ढांचे में प्रजातंत्र का उदय हुआ।
1961 में गोवा का विलय
वहीं गोवा पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया और 19 दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने अनुरोध किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में पुर्तगाली प्रदेशों को भारत को सौंप दिया जाए, किंतु पुर्तगाल ने अपने भारतीय परिक्षेत्रों की संप्रभुता पर बातचीत करना अस्वीकार कर दिया। 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन, दीव के भारतीय संघ में विलय के लिए ऑपरेशन विजय के साथ सैन्य संचालन किया और इसके परिणामस्वरूप गोवा, दमन और दीव भारत के केंद्र प्रशासित क्षेत्र बने।
हैदराबाद में भेजी गई सेना
हैदराबाद ने शुरू में भारत में विलय को मना कर दिया था। ये भारत का सबसे बड़ा राज घराना था। पटेल का उस समय मानना था कि हैदराबाद पेट में कैंसर समान था, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था। हैदराबाद पूरी तरह पाकिस्तान के कहे में चल रहा था। निजाम की अपनी सेना भी थी। इसके बाद पटेल ने हैदराबाद के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का फैसला किया और इसके बाद हैदराबाद का आजाद भारत में विलय हुआ।
ऐसे हुआ जूनागढ़ का विलय
कश्मीर-हैदराबाद की तरह जूनागढ़ आजाद रहना चाहता था। 1948 तक ये एक रियासत था, जिसपर बाबी राजवंश का शासन था। आजादी के समय जूनागढ़ में महावत खान III का स्थान था। उन्होंने पाकिस्तान के साथ जाने का ऐलान कर दिया। उस समय यहां की जनसंख्या 7 लाख थी, जिसमें से 80% हिंदू थे। पाकिस्तान में विलय के फैसले के बाद स्थानीय लोगों ने विद्रोह किया जिसे आधार बनाते हुए भारतीय सेना जूनागढ़ में घुसी। पटेल ने जूनागढ़ के दो बड़े प्रांत मांगरोल और बाबरियावाड़ पर सेना भेजकर कब्जा कर लिया और फिर नवंबर 1947 में भारत ने पूरे जूनागढ़ पर कब्जा कर लिया। बाद में जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया जिसमें 90% से अधिक जनता ने भारत के साथ रहने का फैसला किया।
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