Migrant workers: उम्मीदों को पंख देती बिभारते, इस तरह प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए आई सामने

देश
ललित राय
Updated May 19, 2020 | 19:28 IST

Bibharte ngo working for migrants: उम्मीद को पंख मिल जाये तो क्या कहना। जरूरतमंद को आसरा मिल जाए तो क्या कहना। कोरोना काल में बिभारते संस्था न केवल जमीन पर काम कर रही है बल्कि सियासी लोगों के लिए संदेश भी है।

Migrant workers: उम्मीदों को पंख देती बिभारते, इस तरह प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए आई सामने
प्रवासी मजदूरों के लिए बिभारते संगठन सामने आया 
मुख्य बातें
  • प्रवासी श्रमिकों की मदद करने में आगे आई बिभारते, 2017 में इस संगठन का हुआ था गठन
  • दादरी और दनकौर से चलाई गईं थी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें
  • यूपी और बिहार में अब तक करीब 7 लाख प्रवासी मजदूर पहुंचे

नई दिल्ली। सियासी उम्मीद ही सियासत का आधार होती है और यह उम्मीद तो राजनेताओं को आगे की लड़ाई के लिए खाद पानी का काम करती है। लेकिन सियासत से इतर भी लोग और संगठन होते हैं जिनका मकसद सिर्फ और सिर्फ जनकल्याण होता है और उन्हें अपने मकसद को अमलीजामा पहनाने के लिए किसी वजह की जरूरत नहीं होती है। लेकिन कोरोना काल में तो ढेरों सारी वजह है। आज सड़कों पर प्रवासी मजदूरों की वो तस्वीरें सामने आ रही हैं जो किसी के भी सीने को छलनी करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन प्रवासी श्रमिकों के दुख में विभारते संगठन कंधे से कंधा मिलाकर न केवल चल रहा है बल्कि चट्टान की तरह मजबूती से खड़ा है। 

कोरोना के खिलाफ हर मोर्चे पर जंग
कोरोना के खिलाफ जब लॉकडाउन का ऐलान किया गया तो सबसे ज्यादा मुसीबत उन लोगों की छोली में  कैद हो गई जो रोज कमाते और खाते थे। सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र और जरूरतमंदों को मिल रहा है। लेकिन हजारों की संख्या में ऐसे लोग भी सामने आए जिनके पास आवश्यक दस्तावेजों की कमी थी और वो सरकारी लाभ लेने में असमर्थ थे। लेकिन विभारते संगठन ने न केवल उनकी दिक्कत को समझा बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी के उस अपील पर आगे बढ़ा जिसमें जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाई। 


उम्मीदों को आधार देती बिभारते
अब जब प्रवासी मजदूर अपनी कर्मभूमि को छोड़कर जन्मभूमि की तरफ रुख कर रहे हैं तो न जाने कितनी व्यवहारिक समस्याओें से सामना कर रहे हैं। लेकिन विभारते संगठन वो हर जरूरी सामान उपलब्ध करा रहा है जिसकी जरूरत उन्हें सबसे ज्यादा है। 2017 में अस्तित्व में आई विभारते के अध्यक्ष मोहन सिंह से इस संस्था की कार्यप्रणाली के बारे में समझने की कोशिश की गई।


जान, जहान, जन और जग के लिए मदद

उन्होंने कहा कि विभारते का मकसद जात पात, पंथ और मजहब से ऊपर उठकर हर उस शख्स की सेवा करना है जो असहाय और लाचार है।यही नहीं आज जब कोरोना काल में सरकार अपनी जिम्मेदारी निभा रही जो कि उसका कर्तव्य है। लेकिन हम इस मंशा के साथ जनसेवा में जुटे हैं जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ जनकल्याण है क्योंकि संकट की घड़ी में हमें जान, जहान, जन और जग सबके बारे में सोचते हुए आगे बढ़ना है। 

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