नई दिल्ली। जिसके पैर न पड़ी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई। इस लाइन के बहुत सारे माएने हैं। प्रवासी मजदूरों के मामले में करीब करीब सभी राज्य सरकारों के बयानों में कोई खास अंतर नजर नहीं आता है। हर तरफ से एक सा जवाब प्रवासी मजदूरों के खाते में पैसे भेज चुके हैं, खाने पीने का इंतजाम है, लेकिन मुजफ्फरनगर, गुना और समस्तीपुर से दर्दनाक खबरें आती हैं। यहां सवाल उठता है कि क्या प्रवासी मजदूरों की नियति ही वही है या वो नाकाम व्यवस्था का शिकार हो रहे हैं।
प्रवासी मजदूरों का हंगामा इसलिए बरपा
जिस तस्वीर के बारे में हम जिक्र कर रहे हैं वो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित एमपी के बड़वानी जिले की है। यहां सैकड़ों की तादाद में यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूर इकट्ठा हुए और सरकारी महकमों को नाकामी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। प्रवासी मजदूरों की सिर्फ एक मांग है कि उनके लिए बसों का इंतजाम किया जाए। जब बड़वानी जिला प्रशासन को जानकारी मिली तो वो हरकत में आए। प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था करने का वादा किया।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कही थी बड़ी बात
इस संबंध में कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में जो दिक्कतें सामने आ रही हैं वो उसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से है। महाराष्ट्र हो, गुजरात हो या राजस्थान यहां से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों को जा रहे हैं जो मध्य प्रदेश के रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारी सरकार की कोशिश है कि किसी को भूखे पेट न सोना पड़े और न ही पैदल चलना पड़े। हालांकि उन्होंने ईमानदारी से कहा कि वो सौ फीसद वादा नहीं करते हैं कि शिकायतें नहीं आएंगी।
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