नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते संसद का मानसून सत्र समय से पहले खत्म हो गया है। 14 सितंबर को शुरू हुआ मानसून सत्र 1 अक्टूबर तक चलना था और इस दौरान दोनों सदनों की 18 बैठक होनी थी, लेकिन सत्र को छोटा कर 10 दिन में ही खत्म कर दिया गया। लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा की कार्यवाही भी आठ दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गई। जब लोकसभा को स्थगित किया गया तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में मौजूद थे।
14 सितंबर से शुरू हुए सत्र में दोनों सदनों में कई विधेयक पारित किए गए जिनमें हाल ही में लागू कुछ अध्यादेशों की जगह लेने के लिए लाए गए विधेयक भी शामिल हैं। राज्यसभा में 25 विधेयकों को पारित किया जबकि हंगामे के कारण आठ विपक्षी सदस्यों को रविवार को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने बताया कि इस सत्र के दौरान 104.47 प्रतिशत कामकाज हुआ। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर व्यवधान के कारण जहां सदन के कामकाज में तीन घंटों का नुकसान हुआ वहीं सदन ने तीन घंटे 26 मिनट अतिरिक्त बैठकर कामकाज किया। उन्होंने कहा कि पिछले चार सत्रों के दौरान उच्च सदन में कामकाज का कुल प्रतिशत 96.13 फीसदी रहा है।
लोकसभा में खूब हुआ काम
10 दिनों में लोकसभा में 25 विधेयकों को पारित किया गया और 167 प्रतिशत कामकाज हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोरोना वायरस महामारी के बीच मानसूत्र सत्र के आयोजन को कई अर्थों में ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि ऐसी परिस्थिति में भी सदस्यों के सक्रिय सहयोग और सकारात्मक भागीदारी के कारण निचले सदन ने कार्य उत्पादकता के नए कीर्तिमान स्थापित किये जो 167 प्रतिशत रही। उन्होंने कहा कि यह अन्य सत्रों से अधिक रही। अध्यक्ष ने बताया कि 14 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की 10 बैठकें बिना अवकाश के हुईं जिनमें निर्धारित कुल 37 घंटे की तुलना में कुल 60 घंटे की कार्यवाही संपन्न हुई। इस तरह सभा की कार्यवाही निर्धारित समय से 23 घंटे अतिरिक्त चली। उन्होंने कहा कि सत्र में 68 प्रतिशत समय में विधायी कामकाज और शेष 32 प्रतिशत में गैर विधायी कामकाज संपन्न हुआ।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिन में कुछ मंत्रियों समेत अनेक सांसद कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए।
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