नई दिल्ली : फांसी के फंदे से बचने के लिए निर्भया के दोषी पैंतरेबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वे अपनी फांसी की तिथि टालने के लिए कोई न कोई वजह ढूंढकर कोर्ट के सामने पहुंच रहे हैं। दिल्ली की एक कोर्ट ने दोषियों को फांसी देने के लिए गुरुवार को नया डेथ वारंट जारी किया। इस डेथ वारंट के हिसाब से चारों दोषियों को अब 20 मार्च को फांसी की सजा होनी तय मानी जा रही है। लेकिन दोषियों में से एक मुकेश सिंह शुक्रवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
'दया याचिकाओं पर 'जबरन' हस्ताक्षर कराया'
मुकेश ने दावा किया है कि कोर्ट द्वारा उसके लिए नियुक्त वकील वृंदा ग्रोवर ने उससे क्यूरेटिव एवं दया याचिकाओं पर 'जबरन' हस्ताक्षर करवाए। मुकेश का दावा है कि उसकी वकील ने उससे 'झूठ' बोला कि डेथ वारंट जारी होने के सात दिनों के भीतर उसे क्यूरेटिव याचिका दायर करनी होगी। वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर अर्जी में मुकेश ने दावा किया है कि क्यूरेटिव अर्जी दायर करने की समय सीमा उसकी समीक्षा याचिका खारिज हो जाने की तिथि से तीन साल तक थी।
2018 में खारिज हुई मुकेश की दया याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने उसकी समीक्षा याचिका जुलाई 2018 में खारिज की। मुकेश ने अपनी अर्जी में कोर्ट से अपने कानूनी अधिकारों को 'बहाल' करने और 2021 तक क्यूरेटिव एवं दया याचिका दायर करने की मांग की। बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को चारों दोषियों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय ठाकुर को फांसी पर चढ़ाने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया। चारों दोषियों की सजा खारिज हो जाने के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने इसे 'न्यायिक हत्या' करार दिया।
'ये आतंकवादी नहीं हैं'
एपी सिंह ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि दोषियों की हत्या पहले ही चार बार हो चुकी है और ये आतंकवादी नहीं हैं। एपी सिंह ने कहा, 'मीडिया के दबाव पहले ही उन्हें मार चुका है। चार डेथ वारंट से उनकी चार बार हत्या हो चुकी है और उन्हें तीन बार फांसी पर चढ़ाया जा चुका है।' दिल्ली की कोर्ट ने दोषियों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी पर चढ़ाने का आदेश दिया है। अदालत के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए दोषियों के वकील ने इसे 'न्यायिक हत्या' करार दिया। उन्होंने कहा, 'तीन बार और फांसी दे चुके हो। ये आतंकवादी नहीं हैं, आप इनका ज्यूडिशियल किलिंग कर रहे हो।'
चार बार जारी हो चुका है डेथ वारंट
बता दें कि निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए कोर्ट की तरफ से चार बार डेथ वारंट जारी हो चुका है लेकिन दोषियों खुद को मिले कानूनी उपचारों का इस्तेमाल करते हुए फांसी से बचते रहे हैं। वह हर बार कोई न कोई पेंच फंसाने में कामयाब हुए हैं। हालांकि, उनकी फांसी पर अब सुप्रीम कोर्ट की नजर है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि 20 मार्च को यदि दोषियों को फांसी नहीं होती है तो वह 23 मार्च को उन्हें अलग-अलग फांसी पर चढ़ाने की मांग वाली केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई करेगा।
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