Queen Elizabeth Relation with Mumbai Dabbawala: मुंबई के मशहूर डब्बावालों का ब्रिटेन के शाही परिवार से खास संबंध है। ऐसा संबंध जिसमें शाही शादी में शामिल होने के लिए डब्बावालों को न्योता भेजा जाता है। ब्रिटेन का शाही परिवार इनका इतना मुरीद है कि वो इनकी शर्तों पर इनसे मिलने के लिए तैयार हो गया था। यही कारण है कि जब क्वीन एलिजाबेथ का निधन हुआ तो डब्बावाले भी शोक में डूबे दिखे।
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तालेकर ने कहा- "प्रिंस चार्ल्स के भारत आने के बाद से ही मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन का ब्रिटिश शाही परिवार के साथ बहुत करीबी रिश्ता रहा है। हम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन से दुखी हैं और सभी डब्बावाले प्रार्थना करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।"
जब अपनी शर्तों पर शाही परिवार से मिले
प्रिंस चार्ल्स जब भारत की यात्रा पर पहुंचे तो उन्होंने मुंबई के डब्बावालों से मिलने की इच्छा जताई। अब प्रिंस चार्ल्स थे, ब्रिटेन की महारानी के उत्तराधिकारी, उनका संदेश जब इन डब्बावालों के पास पहुंचा तो उन्होंने गजब ही शर्त रख दी। कहा जाता है कि उन्होंने मिलने की इच्छा पर कहा कि वो मिलेंगे लेकिन अपनी शर्तों पर। लंदन के राजा से मिलने के लिए मुंबई के 2 लाख महाराजाओं (ग्राहक) को तकलीफ नहीं दे सकते हैं। साथ ही प्रिंस चार्ल्स को उनके पास खुद मिलने के लिए आना होगा, वो नहीं जाएंगे। ये शर्तें जब प्रिंस के पास पहुंचीं तो उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया और मिलने के लिए पहुंच गए। तो यहां से शाही परिवार के साथ डब्बावालों के कनेक्शन की शुरूआत हुई।
शादी का न्योता
इस घटना के बाद जब 2005 में प्रिंस चार्ल्स की शादी हुई तो डब्बावालों को भी शादी में शामिल होने का न्योता मिला। न्योता, वो भी शाही शादी का...शरीक तो होना ही था, साथ ही गिफ्ट कैसा हो इस पर भी परेशानी वाली बात थी। काफी सोच विचार के बाद तय हुआ कि प्रिंस चार्ल्स के लिए कुर्ता और दुल्हन कैमिला के लिए साड़ी गिफ्ट के तौर पर भेजा जाए। डिब्बावाला संगठन की ओर से दो पदाधिकारी रघुनाथ मेडगे और सोपान मारे इस शादी में शामिल हुए थे। 2018 में, प्रिंस हैरी और मेघन मार्कल की शादी के दौरान डब्बावालों ने एक हस्तनिर्मित पैठानी साड़ी और प्रिंस हैरी को नारंगी रंग का कुर्ता और महाराष्ट्रीयन पगड़ी भेंट की थी।
कौन हैं मुंबई के डब्बावाले
मुंबई के डब्बावाले भारत की आर्थिक राजधानी की जान है। इसकी शुरुआत 1890 में हुई थी। इनके कंधों पर उन लाखों लोगों का खाना पहुंचाना का भार होता है, जो इस शहर में काम करते हैं और इनकी सर्विस लेते हैं। ये कस्टमर के घर से खाना लेकर उसे तय समय पर संबंधित शख्स के पास पहुंचाते हैं। इनके संगठन में लगभग 5 हजार कर्मचारी हैं जो 2 लाख से ज्यादा टिफिन पहुंचाते हैं।
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