नई दिल्ली : मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपने अचानक तबादले और शीना बोरा मर्ड केस में जांच के दौरान पीटर मुखर्जी को बचाने के आरोपों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। बता दें कि मुखर्जी और उनकी पूर्व पत्नी इंद्राणी मुखर्जी 2012 के सनसनीखेज शीना बोरा हत्या मामले में आरोपी हैं। मुंबई पुलिस ने शीना बोरा के मर्डर के आरोप में साल 2015 में पीटर मुखर्जी और इंद्राणी को गिरफ्तार किया। इस मामले में एफआईआर खार पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ।
बताया जाता है कि इस मर्डर केस में उस समय के मुंबई पुलिस के कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी काफी सक्रियता दिखाई। उन्होंने पहले इंद्राणी और फिर पीटर मुखर्जी से पूछताछ की। शीना बोरा मर्डर केस की जांच चल ही रही थी कि इसी दौरान उनका तबादला होम गार्ड्स विभाग में कर दिया गया। बताया जाता है कि तत्कालीन देवेंद्र फणड़वीस सरकार शीना बोरा मर्डर केस में मारिया की भूमिका से संतुष्ट नहीं थी। मारिया के तबादला उस समय होम गार्ड्स विभाग में हुआ जब मुंबई पुलिस कमिश्नर पद पर उनका कार्यकाल करीब तीन सप्ताह बचा था। मारिया के इस तबादले पर कई तरह की अटकलें भी लगाई गईं।
पुलिस अधिकारी मारिया ने उस समय अपने तबादले पर कुछ नहीं कहा लेकिन अब रिटायर होने के बाद उन्होंने अपनी किताब 'लेट मी से इन नाउ' में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। मारिया ने अपनी इस किताब में खुलासा किया है कि उन्हें इस बात का संदेह हुआ कि शीना बोरा मर्डर केस में कोई उनके बारे में गलत जानकारियां तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को दे रहा है।
'तबादले की सूचना टेक्स्ट मैसेज से मिली'
अपने ताबदले के बारे में मारिया ने कहा है कि उन्हें पुलिस कमिश्नर पद से स्थानांतरण की सूचना टेक्स्ट मैसेज से मिली। मारिया ने अपनी इस किताब में कई सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या महाराष्ट्र सरकार को उनके उत्तराधिकारी अहमद जावेद की मुखर्जी के साथ संपर्क होने की बात पता थी? मारिया ने सवाल किया कि रायगढ़ जिला पुलिस की जांच की खामियों का पता करने के लिए हुई जांच का क्या हुआ?
'मुझे अंधेरे में रखा गया'
मारिया का दावा है कि कानून एवं व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी तत्कालीन ज्वाइंट कमिश्नर देवेन भारती ने उन्हें अंधेरे में रखा। देवेन ने यह कभी नहीं बताया कि वह पीटर और इंद्राणी को पहले से जानते हैं। किताब के मुताबिक पूछताछ के दौरान पीटर ने मारिया को बताया कि शीना बोरा की गुमशुदगी की शिकायत को लेकर वह साल 2012 में देवेन से मिले थे जबकि इस घटना के बारे में देवेन ने उन्हें नहीं बताया।
अपनी इस किताब में मारिया ने कहा है कि उन्हें अपने तबादले की जानकारी एक टेक्स्ट मैसेज के जरिए मिली। यह टेक्स्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी की तरफ से आया था। मारिया का कहना है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से जिस तरह से उनका तबादला हुआ वह सही नहीं था क्योंकि शहर में 10 दिनों के बाद गणपति महोत्सव शुरू होना था और इस दौरान मुंबई में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त करने होते हैं।
केपी बख्शी ने टाइम्स नाउ से खास बातचीत में कहा, 'शीना बोरा मर्डर केस में तत्कालीन मुख्यमंत्री फड़णवीस को किसने क्या बताया मैं उसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। मैंने इस बारे में मुख्यमंत्री को ब्रीफ नहीं किया था। मारिया का तबादला पहले हो जाना था। मैंने मारिया की किताब नहीं पढ़ी है।'
अहमद जावेद पर उठाए सवाल
अपने तबादले के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर पद पर जिस अधिकारी अहमद जावेद की तैनाती हुई, उस पर मारिया ने अपनी किताब में सवाल उठाया है। मारिया का कहना है कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी थी कि जावेद की एक ईद पार्टी में पीटर और इंद्राणी मुखर्जी शामिल हुए थे? मंत्रालय के सूत्रों को इस बात की जानकारीं क्यों नहीं हो पाई? मारिया ने इस बात का भी जिक्र किया है कि रायगढ़ जिले के जंगलों में जब मानव अवशेषों की तलाश की जा रही थी तो उस समय जावेद महाराष्ट्र के सभी जिलों के अपराध एवं कानून के प्रभारी थे। रायगढ़ के जंगल से बाद में शीना बोरा की लाश के अवशेष मिले थे। मारिया का आरोप है कि जिला पुलिस की खामियों का पता करने के लिए जो जांच हुई उसका क्या हुआ?
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