मुंबई: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सोशल डिस्टेंस यानी सामाजिक दूरी सबसे जरूरी और कारगर चीज है। लेकिन मुंबई कें बांद्रा से जो तस्वीरें सामने आई हैं वो चिंता बढ़ाने वाली हैं। बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ जुटी है। वे अपने-अपने गृह राज्यों में वापस लौटने के लिए स्टेशन पर जुटे। बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज कर उनको तितर-बितर किया। बताया जाता है कि आज 14 तारीख है और लोगों को लगा कि आज 21 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन समाप्त हो रहा है और इसके बाद ट्रेनें शुरू हो जाएंगी।
कहा जा सकता है कि शायद उन्हें जानकारी नहीं है कि लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। इससे ट्रेनों का संचालन भी 3 मई तक स्थगित कर दिया गया है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया है, जिसके बाद रेलवे ने भी यात्री सेवा इस तारीख तक के लिए निलंबित कर दी है।
AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने भी बांद्रा का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें भारी भीड़ को देखा जा सकता है। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा, 'लॉकडाउन बढ़ने पर मजदूरों और प्रवासी मजदरों का घर वापस जाने के लिए विरोध-प्रदर्शन।'
बांद्रा में उमड़ी मजदूरों की भीड़ के लिए शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मौजूदा स्थिति तब पैदा हुई, जब केंद्र सरकार मजूदरों के घर वापस जाने की व्यवस्था नहीं कर सकी। वे भोजन या आश्रय नहीं चाहते, वे घर वापस जाना चाहते हैं। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एक पारस्परिक रोड मैप काफी हद तक प्रवासी श्रमिकों को एक राज्य से दूसरे राज्य में सुरक्षित और कुशलतापूर्वक घर पहुंचाने में मदद करेगा।'
सड़कों पर आए प्रवासी मजदूरों की मांग है कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए। ये सभी प्रवासी मजदूर दिहाड़ी मजदूर हैं। लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर अपराह्न करीब तीन बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए। दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं।
एक मजदूर ने कहा कि अब हम भोजन नहीं चाहते हैं, हम अपने घर वापस जाना चाहते हैं, हम लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा से खुश नहीं हैं। एक अन्य ने कहा, 'हमने लॉकडाउन के पहले चरण में अपनी बचत पहले ही खर्च कर दी है। अब हमारे पास खाने को कुछ नहीं है, हम केवल अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए।'
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