नई दिल्ली: सेना और पुलिस की वर्दी पहनने वाले हर जवान का सपना होता है कि करियर के दौरान उसे बहादुरी के कार्यों के लिए गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा जाए। कुछ लोग पूरे करियर में एक बार भी ऐसा नहीं कर पाते लेकिन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ का एक जवान ऐसा है जिसने पिछले चार साल में 6 पुलिस गैलेंट्री अवार्ड अपने नाम करने का कारनामा कर दिखाया है।
ये जवान हैं सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में कार्यरत 34 वर्षीय नरेश कुमार। पंजाब के होशियारपुर जिले के रहने वाले नरेश कुमार ने यह कारनामा सीआरपीए की क्विक एक्शन टीम का मुखिया के रूप में काम करते हुए किया है। साल 2013 में सीआरपीएफ में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट चुने जाने के बाद साल 2015 में ट्रेनिंग के बाद उन्हें कश्मीर में पहली पोस्टिंग मिली। यहीं से उनकी तकदीर बदल गई।
साल 2016 में मिला था पहला गैलेंट्री अवार्ड
क्यूएटी के गठन के कुछ महीने बाद ही उनकी पहली परीक्षा तब हुई जब आतंकवादियों ने नौहट्टा चौक पर पुलिस पिकेट पर हमला किया। नरेश ने बताया, हमने उन्हें मिनटों में मार गिराया और यह साबित किया कि सीआरपीएफ की शहरी इलाके में लड़ाकू क्षमता उच्च गुणवत्ता की है। उसके बाद से हमने सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर कई साझा ऑपरेशन किए। नौहट्टा चौक के लि
पत्थरबाजी के बीच मिनटों में कर दिया था हिजबुल कमांडरों को ढेर
एक और अहम एनकाउंटर बिजबहेरा के अरवानी में 7 दिसंबर 2016 को हुआ था। जब उन्हें सूचना मिली कि हिजबुल मुजाहिद्दीन के दो कमांडर एक मकान में हैं। यह विपरीत परिस्थितियों में हुआ एनकाउंटर था। वहां तीन दिन तक एनकाउंटर और पत्थरबाजी चलती रही। एक अर्धसैनिक बल का जवान उसमें जख्मी हुआ था। पहले ये योजना थी कि उस मकान को उड़ा दिया जाएगा। लेकिन वहां हजारों लोग थे और आसपास के इलाके में भी बड़े नुकसान का अंदेशा था। ऐसे में क्यूएटी को को जिम्मेदारी दी गई। कुछ ही मिनटों में हम घर में घुस गए और आतंकियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन के लिए उन्हें दूसरा मेडल मिला था।
इसके बाद मिले तीन और मेडल
इसके बाद जुलाई 2017 में बड़गाम, लेथपुरा में 31 दिसंबर 2018, चट्टाबल में 5 मई 2019 को हुए ऑपरेशन में उनकी टीम ने आतंकियों को नेस्तनाबूत कर दिया। कोई भी साल ऐसा नहीं रहा है जब उन्हें गैलेंट्री अवार्ड से नहीं नवाजा गया हो। क्यूएटी ने 2015 से लेकर 50 से ज्यादा आतंकियों को विभिन्न ऑपरेशन्स में मार गिराया है।
परिवार की है सेन्य पृष्ठभूमि, पत्नी भी हैं असिस्टेंट कमांडेंट
सैन्य अधिकारी के घर पंजाब के होशियारपुर में जन्मे कुमार ने पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला से बी टेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद सैन्य बलों में शामिल होने के लिए होने वाली परीक्षाएं देनी शुरू की। परिवारिक रूप से सैन्य पृष्ठभूमि का होने की वजह से उनका सैन्य बलों के साथ विशेष लगाव शुरू से ही थी। उन्हें सेना की वर्दी हमेशा से आकर्षित करती थी। नरेश ने अपने पिता से वादा किया था कि बतौर जवान उन्होंने जहां करियर का अंत किया है वो वहां से अपनी शुरुआत करेंगे।
पत्नी है ताकत का स्रोत
पत्नी उनकी ताकत का सबसे अहम स्रोत है। वो खुद भी एक अधिकारी हैं उन्हें मुझे ये बताने की जरूरत नहीं पड़ती है मैं कौन का सा काम क्यों और कब करना है।
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