बालाकोट के बाद पाकिस्तान ने की थी समुद्री हमले की तैयारी! इस जवान ने पाक पनडुब्बियों को दिया था खदेड़

बालाकोट पर भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान बौखला गया था और उसने समुद्र में पनडुब्बियां तैनात कर दी थीं।

Navy's Commodore Jyotin Raina awarded Nao Sena Medal for response after Pulwama attack
बालाकोट के बाद पाक ने समुद्र के जरिए की थी कोशिश 
मुख्य बातें
  • 14 फरवरी को जब बालाकोट हुआ था तो पाकिस्तान और भारत के बीच चरम पर पहुंच गया था तनाव
  • पाकिस्तान ने समुद्र में तैनात कर दी थी पनडुब्बी, एक भारतीय नौसैनिक की सूझबूझ बैकपुट पर आ गया था पाक
  • इसी नौसेनिक कमोडोर ज्योतिन रैना को अब नौसेना पदक (वीरता) से किया गया है सम्मानित

नई दिल्ली: आपको याद होगा कि पिछले साल 14 फरवरी को जब बालाकोट हुआ था तो पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे। दरअसल पुलवामा हमले का बदला लेते हुए भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। भारत द्वारा अचानक की गई इस कार्रवाई से पाकिस्तान हड़बड़ा गया था और इसके जवाब में उसने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की असफल कोशिश भी की थी।

पाकिस्तान ने तब समुद्र से भी पलटवार करने की कोशिश की थी लेकिन एक भारतीय नौसैनिक की सूझबूझ से पाकिस्तान बैकपुट पर आ गया था। इसी नौसेनिक को अब नौसेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया है जिसका नाम है कमोडोर ज्योतिन रैना।  रैना फिलहाल नौसेना के पश्चिमी बेड़े के फ्लीट ऑपरेशन ऑफिसर हैं। 

दरअसल पुलवामा हमले के बाद देश की सभी सीमाओं पर जवानों को सतर्क कर दिया गया था। इसके बाद जब बालाकोट एयर स्ट्राइक हुई तो नौसेना, थलसेना के साथ-साथ वायुसेना को भी अलर्ट पर रखा गया था। इसी दौरान कमोडोर ज्योतिन रैना को सूचना मिली कि दुश्मन ने समुद्री सीमा पर अपनी पनडुब्बी तैनात कर दी है और वो तुरंत हरकत में आ गए।

कमोडोर रैना ने बेहद कम समय में जंगी जहाजों को रवाना किया और पाक पनडुब्बियों को तीनों तरफ से घेर लिया। खुद को घिरता देख पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया है पनडुब्बियां वापस चली गईं। शायद ही इस बारे में देशवासियों को पता होगा कि ज्योतिन की सूझबूझ से पाकिस्तान को समुद्री छोर पर भी भागना पड़ा था।

रैना को नौसेना पदक मिलने के बाद नेवी ने एक बयान जारी करते हुए कहा, ‘पुलवामा हमलों के बाद अधिकारी ने उत्कृष्टता, मुस्तैदी, उच्च मानकों का व्यक्तिगत नेतृत्व कर यह सुनिश्चित किया कि समय सीमा के भीतर पश्चिमी बेड़े से सभी परिचालन कार्य पूरे हो सकें। ज्योतिन रैना ने सुनिश्चित किया कि बंदरगाह के पास दुश्मन (पाकिस्तान) पनडुब्बियों की मौजूदगी के बावजूद अपने जहाज सुरक्षित वापस आ जाएं।'

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