New Delhi : राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक राजपथ का बदलेगा नजारा, संसद भवन का भी बदलेगा कलेवर

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Updated Sep 13, 2019 | 13:04 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लुटियंस दिल्ली के सेंट्रल विस्टा और इसके आस-पास के एरिया के पुनर्विकास की योजना बना रहा है। पढ़ें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

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सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना  |  तस्वीर साभार: Getty Images
मुख्य बातें
  • राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच राजपथ का होगा पुनर्विकास
  • संसद भवन और सचिवालय का भी बदलेगा कलेवर
  • नए बिल्डिंग की क्षमता पुरानी बिल्डिंग से अधिक होगी
  • पुरानी बिल्डिंग में कार्यालय चलाने में हजार करोड़ का आता है सलाना खर्च

नई दिल्ली : देश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने नई दिल्ली के आईकॉनिक सेंट्रल विस्टा का पुनर्विकास करने जा रही है। इसमें राष्ट्रपति भवन के गेट से लेकर इंडिया गेट तक राजपथ शामिल है जिसका निर्माण एडविन लुटियंस ने किया था। केंद्र सरकार के इस मेगा प्लान में नए संसद भवन के निर्माण की भी योजना है जो वर्तमान इमारत के पास ही बनाया जाएगा, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर उस बिल्डिंग से भी मदद ली जाए। 

इसके अलावा केंद्रीय सचिवालय का भी पुनर्विकास किया जाएगा जिसमें तमाम विभाग होंगे। केंद्र सरकार के इस प्लान से लुटियंस दिल्ली एक बड़ा टूरिस्ट हब बन जाएगा। केंद्रीय जन कल्याण विभाग ने इस योजना के लिए कई कंपनियों को कंसलटेंट्स को अपने मास्टर प्लान के साथ आमंत्रित किया है। सेंट्रल विस्टा सुशाषन, पारदर्शिता, जवाबदेही, समानता औऱ भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्म करती है।

पुनर्विकास की इस योजना में जन सुविधा केंद्र, पार्किंग और ग्रीन स्पेस होगा। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान पार्लियामेंट बिल्डिंग में अभी अधिक जगह नहीं है जहां पर सभी सांसद एक साथ आ सकें। सरकार ने 2024 तक इन सभी प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का प्लान बनाया है।  

बता दें कि राष्ट्रपति भवन, पार्लियामेंट हाउस और नॉर्थ साउथ ब्लॉक 1911 और 1931 के बीच इडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर के द्वारा डिजाइन किए गए थे। एक बार जब नया सचिवालय बन कर तैयार हो जाएगा, तब सरकार अपने सभी ऑफिसेस नए बिल्डिंग में शिफ्ट कर लेगी। इसके बाद पुराने बिल्डिंग को म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाएगा। 

बताया जाता है कि सेंट्रल विस्टा और आस-पास के इलाकों के इन पुनर्विकास परियाजनाओं की शहरी विकास मंत्रालय के उपर है। 
केंद्रीय जन कल्याण विभाग का कहना है कि पुनर्विकास परियोजना के बाद ये साइट अगले 150 से 200 सालों तक के लिए सुरक्षित धरोहर हो जाएगा। 

सूत्रों के मुताबिक इस इलाके में कई सारी ऐसी बिल्डिंग है जो 40-50 साल पुरानी है और कई सारी तो आजादी से पहले की है। वर्तमान सचिवालय में करीब 47 बिल्डिंग्स हैं जिनकी क्षमता 70,000 कर्मचारियों की है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि कई सारे कार्यालय निजी स्थानों पर चलाए जा रहे हैं और केंद्र सरकार को हर साल इनके किराए पर 1,000 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं।  

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