Suicides In India:कृषि क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)के ताजा आंकड़े आत्महत्या के मामलों की नई तस्वीर पेश कर रहे हैं। NCRB 2021 के अनुसार साल बीते साल किसानों के आत्महत्या के मामलों में मामूली कमी आई है। लेकिन कृषि क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों के आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं। यानी अब किसान ही नहीं, कृषि क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों में भी आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,881 लोगों ने आत्महत्या की है। जबकि कि साल 2020 में 10,667 लोगों ने आत्महत्या की थी। लेकिन इसमें किसानों की केवल आत्महत्या देखी जाय तो उसमें करीब 200 की कमी आई है। वहीं अगर साल 2015 से 2021 की तुलना की जाय तो पिछले 7 साल में किसानों के आत्महत्या के मामले में भी कमी आई है। साल 2015 में देश में कुल 12,602 किसानों ने आत्महत्या की थी। जो कि अब 2021 में गिरकर 10,881 हो गई है। लेकिन अगर कोविड दौर से पहले की तुलना की जाय तो पिछले तीन साल में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं।
साल | कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के मामले | किसानों के आत्महत्या के मामले | कृषि श्रमिकों के आत्महत्या के मामले |
2021 | 10,881 | 5318 | 5563 |
2020 | 10,667 | 5579 | 5098 |
2019 | 10,281 | 5957 | 4324 |
2018 | 10,349 | 5763 | 4,586 |
2017 | 10,655 | 5955 | 4700 |
2016 | 11,379 | 6270 | 5109 |
2015 | 12,602 | - | - |
स्रोत: NCRB
कृषि श्रमिकों में आत्महत्या के मामले बढ़े
रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में 5,677 किसानों ने आत्महत्या की थी। जो कि 2021 में गिरकर 5318 आ गई है। लेकिन अगर कृषि श्रमिकों से जुड़ी आत्महत्या को देखा जाय तो 2020 में 5098 लोगों ने आत्महत्या की थी। जो कि 2021 में बढ़कर 5563 हो गई है। यानी कि साल 2020 की तुलना में पिछले साल कृषि श्रमिकों में आत्महत्या के 465 मामले बढ़ गए।
इसी तरह देश में कुल आत्महत्या के मामलों में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी देखी जाय तो यह 2021 में 2020 की तुलना में कम हुई है। 2021 में कुल आत्महत्या में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 6.6 फीसदी रही है। जबकि 2020 में यह 7.0 फीसदी थी।
दिहाड़ी मजदूरों ने की सबसे ज्यादा आत्महत्या
साल 2021 के आंकड़ों को देखा जाय तो सबसे चिंताजनक बात यह है कि दिहाड़ी मजदूरों ने सबसे ज्यादा आत्महत्याएं की है। कुल आत्महत्या में 25.6 फीसदी आत्महत्याएं दिहाड़ी मजदूरों ने की है। उसके बाद 14.1 फीसदी गृहणियों ने आत्महत्याएं की है। इसके बाद वेतन भोगी लोगों ने आत्महत्याएं की है। साफ है कि दिहाड़ी मजदूर और वेतनभोगी की आत्महत्या में एक बड़ी वजह आर्थिक संकट हो सकता है।
इन राज्यों में एक भी किसान ने नहीं की आत्महत्या
रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल, बिहार,झारखंड,ओडीसा, त्रिपुरा, मणिपुर,अरूणाचल प्रदेश,उत्तराखंड,चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुडुचेरी ऐसे राज्य हैं, जहां पर न तो किसी किसान ने और न ही कृषि क्षेत्र से जुड़े किसी मजदूर ने आत्महत्या की है।
जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश,मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा किसानों और श्रमिकों ने आत्महत्याएं की है।
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