गुरुवार (22 September 2022) को एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ जो छापे मारे हैं, वो अचानक से नहीं हुआ। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में इसकी योजना काफी पहले बन चुकी थी। साथ ही एनआईए भी पीएफआई के खिलाफ काफी समय से काम कर रही थी।
काफी समय से थी नजर
पीएफआई के आतंकी मॉड्यूल पर काफी समय से एनआईए की नजर थी। कई मामलों की वो जांच कर रही थी। तो कई में तो वो आरोप भी सिद्ध कर चुकी है। हर मामले में जब पीएफआई का नाम सामने आने लगा तो फिर अब एनआईए ने एक ही दिन धावा बोलकर 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अब उनसे पूछताछ की जा रही है।
क्यों था रडार पर
पीएफआई, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शनों, कथित जबरन धर्मांतरण, मुस्लिम युवाओं के कट्टरपंथ, मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिबंधित समूहों के साथ संबंधों में अपनी भूमिका के लिए सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर रहा है। इसके अलावा पीएफआई द्वारा कथित रूप से समय-समय पर किए गए आपराधिक और हिंसक कृत्यों- जैसे केरल में एक कॉलेज के प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों को मानने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्याएं, इस्लामिक स्टेट को समर्थन को लेकर भी यह रडार पर था।
45 दोषी करार
इस छापे से पहले के दर्ज मामलों में एनआईए 45 लोगों के खिलाफ आरोप सिद्ध कर चुकी है। ये सभी पीएफआई से जुडे़ हुए हैं। इसके अलावा 355 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र में दाखिल कर दिया गया है। जिसपर जल्द ही फैसला आएगा।
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