Nirbhaya case: फांसी से पहले पवन ने चली चाल, क्यूरेटिव अपील के जरिए उम्रकैद की अपील

देश
ललित राय
Updated Feb 28, 2020 | 17:16 IST

क्या तीन मार्च को निर्भया के गुनहगारों को फांसी दी जाएगी। दरअसल चारों गुनहगारों में से एक पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्यूरेटिव याचिका लगाई है।

Nirbhaya case: 3 मार्च को फांसी..निर्भया के गुनहगार पवन ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई क्यूरेटिव याचिका
निर्भया के चारों गुनहगारों को तीन मार्च को दी जानी है फांसी 
मुख्य बातें
  • चारों दोषियों में सिर्फ पवन गुप्ता के पास है कानूनी विकल्प उपलब्ध
  • पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव के साथ दया याचिका का विकल्प है
  • चारों दोषियों को तीन मार्च को फांसी देने के लिए तारीख है मुकर्रर

नई दिल्ली। क्या 3 मार्च को निर्भया के गुनहगार फांसी के तख्ते पर लटकेंगे या उनकी फांसी एक बार फिर टल जाएगी। दरअसल यह सवाल इस लिए उठ रहा है क्योंकि पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव अपील दायर की है। पवन गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है। पवन गुप्ता ही मात्र वो दोषी है जिसके पास कुछ कानूनी विकल्प मौजूद हैं। शेष तीनों दोषियों मुकेश सिंह, अक्षय सिंह और विनय शर्मा के विकल्प खत्म हो चुके हैं। 

फांसी से पहले अब पवन की चाल
जानकारों का कहना है कि तीन मार्च से पहले दो मार्च यानि अगले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई कर इसे खारिज कर देगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो पवन के वकील सुप्रीम कोर्ट से मांग करेंगे कि तीन मार्च के डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग करेंगे। पवन की क्यूरेटिव याचिका के बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का कानूनी अधिकार बचा है।

पवन के पास दया याचिका का भी है रास्ता
आम तौर पर जब सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका खारिज होती है तो उसके त के बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका पर फैसला आने में तीन-चार दिन का समय लगता है। ऐसी सूरत में तीन मार्च को डेथ वारंट को अमलीजामा पहुंचाना मुश्किल होगा और एक बार फिर फ्रेश डेथ वारंट जारी किया जा सकता है।

मुकेश, विनय और अक्षय के पास कोई विकल्प नहीं
मकेश, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव याचिका और दया याचिकाएं पहले ही खारिज हो चुकी है। मुकेश ने तो दया याचिका खारिज करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट भी दाखिल की थी।लेकिन उसे राहत नहीं मिली। पवन ने अभी तक क्यूरेटिव याटिका नहीं दाखिल की थी। हालांकि सभी लोगों को इस बात की आशंका थी कि वो फांसी से ऐन पहले अपने कानूनी उपायों का इस्तेमाल करेगा। 

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