Nirbhaya case: एक तरफ दोषी मांग रहा दया, दूसरी तरफ ये शख्स जल्लाद बनकर देना चाहता है उसे फांसी

देश
लव रघुवंशी
Updated Dec 04, 2019 | 18:27 IST

Nirbhaya case: निर्भया मामले में एक तरफ जहां एक दोषी ने फांसी से बचने के लिए दया याचिका दायर की है, वहीं दूसरी तरफ शिमला के रवि कुमार तिहाड़ जेल में जल्लाद बन दोषियों को फांसी देना चाहते हैं।

Ravi Kumar
रवि कुमार तिहाड़ जेल में बनना चाहते हैं अस्थायी जल्लाद 

नई दिल्ली: 2012 दिल्ली निर्भया गैंगरेप-हत्या मामले के दोषी की दया याचिका अब गृह मंत्रालय पहुंची है। दिल्ली सरकार ने दया याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद अब ये गृह मंत्रालय पहुंची है। गृह मंत्रालय जल्द ही याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजेगा। बुधवार को बताया गया कि दया याचिका खारिज करने की फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने गृह मंत्रालय को भेजी है। गृह मंत्रालय इस फाइल पर गौर करेगा और इसपर विचार तथा अंतिम फैसले के लिए इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजेगा।

इस मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे दोषियों में एक विनय शर्मा ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। 

दिल्ली सरकार द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था, 'मैं मामले में दोषियों में से एक की दया याचिका की अस्वीकृति की सिफारिश करने के दिल्ली सरकार के फैसले का स्वागत करती हूं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों को फांसी पर लटका दिया जाएगा।' 

 

इस बीच खबर आई है कि शिमला से रवि कुमार ने राष्ट्रपति कोविंद को दिल्ली की तिहाड़ जेल में खुद को अस्थायी जल्लाद के रूप में नियुक्त करने के लिए लिखा है क्योंकि वहां कोई जल्लाद नहीं है। उनका कहना है, 'मुझे जल्लाद के रूप में नियुक्त करें ताकि निर्भया मामले के दोषियों को जल्द ही फांसी दी जा सके और उनकी आत्मा को शांति मिले।' 

इस सबके बीच देश के सबसे बड़े जल्लाद पवन का कहना है कि निर्भया और हैदराबाद की डॉक्टर जैसे रूह कंपा देने वाले कांड घर बैठे नहीं रुक सकते हैं। इसके लिए बहुत जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर लटका दो। IANS से बातचीत में पवन ने कहा, 'अगर निर्भया के हत्यारों को सरकार लटका चुकी होती तो शायद, हैदराबाद की मासूम बेकसूर डॉक्टर बेमौत मरने से बच गई होती।'

उन्होंने कहा कि मैं तो एकदम तैयार बैठा हूं। निर्भया के मुजरिमों के डेथ-वारंट मिले और मैं तिहाड़ जेल पहुचूं। मुझे मुजरिमों को फांसी के फंदे पर टांगने के लिए महज दो से तीन दिन का वक्त चाहिए। सिर्फ ट्रायल करुंगा और अदालत के डेथ वारंट को अमल में ला दूंगा।

 

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