नीतीश ने शुरू की 'माइंडगेम पॉलिटिक्स' मोदी के खिलाफ फिर से खड़ा कर पाएंगे ये कुनबा

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 10, 2022 | 17:05 IST

Nitish Kumar Challenge Narendra Modi: नीतीश ने अपने बयान से 2 संदेश देने की कोशिश की है। पहला यह कि 2024 का मैदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए खाली नहीं है। दूसरा संदेश यह है कि अगर भाजपा को हराना है तो विपक्ष को एकजुट होना होगा।  

nitish kumar challenges modi
मोदी के लिए कितनी बड़ी चुनौती बनेंगे नीतीश कुमार 
मुख्य बातें
  • जनता परिवार की नई पीढ़ी को एकजुट कर पाएंगे नीतीश कुमार
  • ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और केसीआर की महत्वकांक्षाओं का क्या होगा ?
  • क्षेत्रीय दलों का अपने गृह राज्य के बाहर कोई वोट बैंक नहीं है।

Nitish Kumar Challenge Narendra Modi:नीतीश कुमार ने शपथ लेते ही माइंड गेम पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि साल 2014 में सत्ता में आने वाले क्या 2014 में भी विजयी होंगे? नीतीश ने कहा कि वह प्रधानमंत्री सहित इस तरह के किसी पद के उम्मीदवार नहीं हैं और वह चाहेंगे कि विपक्ष 2024 के आम चुनाव के लिए एकजुट हो। 8 वीं बार शपथ लेने के बाद नीतीश ने अपने बयान से 2 संदेश देने की कोशिश की है। पहला यह कि 2024 का मैदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए खाली नहीं है। दूसरा संदेश यह है कि अगर भाजपा को हराना है तो विपक्ष को एकजुट होना होगा।  

नीतीश जैसा ही सियासी संदेश , पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवगौड़ा ने भी देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार की अगुवाई में जेडी (यू) और लालू प्रसाद यादव के आरजेडी के साथ आने से उन्हें पुराने दिन याद आ गए, जब वे सब साथ थे। नीतीश और देवगौड़ा के बयान से साफ है कि वह विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं, उसमें पुराना जनता परिवार सबसे बड़ी कड़ी साबित हो सकता है।

कौन हैं जनता परिवार के पुराने सदस्य

असल में देवगौड़ा जिस पुराने जनता परिवार यानी जनता दल की बात कर रहे हैं। उस  जनता दल में 90 के दशक में वी.पी.सिंह, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, देवीलाल जैसे नेता शामिल थे। लेकिन बाद में जनता दल बिखर गया और उसके सभी प्रमुख नेता अपने-अपने क्षेत्र के क्षत्रप बन गए। 1990 के दशक में जब केंद्र में किसी एक राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिल रहा था, उस समय गठबंधन का दौर शुरू हुआ और इसी कड़ी में जनता दल से तीन प्रधानमंत्री  विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच.डी.देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल निकले। वहीं देवीलाल उप प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बने।जबकि मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, बीजू पटनायक अपने-अपने गृह राज्य में मुख्यमंत्री बने।

नई पीढ़ी को एकजुट कर पाएंगे नीतीश

सक्रिय राजनीति से दूर हो चुके देवगौड़ा का उत्साह इसलिए दिखाई दे रहा है क्योंकि वह उम्मीद कर रहे हैं, कि नीतीश कुमार जनता दल के पुराने कुनबे को जोड़ सकते हैं। क्योंकि नीतीश कुमार के पास, मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव, देवगौड़ा के बेटे एच.डी.कुमारस्वामी और बीजू पटनायक के बेटे नवीन पटनायक को एकजुट करने की कड़ी साबित हो सकते हैं। ऐसे में अगर नीतीश कुमार को भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूत चुनौती देनी है, तो इस कुनबे को एकजुट करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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भाजपा के टक्कर देना आसान नहीं

भले ही देवगौड़ा और नीतीश कुमार एकजुटता की बात कर रहे हैं, लेकिन सबसे अहम बात यह है कि मौजूदा समय में चाहे समाजवादी पार्टी हो,राजद, जेडी (एस) और खुद नीतीश कुमार की जनता दल (यू) हो, इन क्षेत्रीय दलों का अपने गृह राज्य के बाहर कोई वोट बैंक नहीं है। ऐसे में उनके एकजुट होने पर केंद्रीय स्तर पर वोट बैंक में बड़ा बदलाव नहीं दिखता है। वहीं भाजपा ओबीसी वोटरों में बड़ी सेंध लगाकर, उनके लिए पहले ही चुनौती बन चुकी है। इसके अलावा ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और केसीआर की महत्वकांक्षाओं को भी नीतीश कुमार के लिए मैनेज करना आसान नहीं होगा।

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