मानवता अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। कोविड-19 का पूरी दुनिया में हहाकार मचा हुआ है। पूरी दुनिया इस मुसीबत से छुटकारा पाने की कोशिश में जुटी है लेकिन किसी को भी इस मर्ज की दवा नहीं मिल पा रही है। इस प्रकोप से छुटकारा कब मिलेगा इसके बारे में अनिश्चितता बनी हुई है। कोविड-19 की चपेट में पूरी दुनिया है। इसने किसी को भी नहीं बख्शा है। अमीर और गरीब देश सभी इसकी मार से कराह रहे हैं। अर्थव्यवस्थाएं चौपट हो गई हैं। सरकारें परेशान हैं और लोग भयभीत हैं। यह एक ऐसा अदृश्य दुश्मन बन गया है जो हर जगह मौजूद है और मानवता को अपना निशाना बना रहा है। भय, अनिश्चितता और निराशा का यह आलम दुनिया पर कब तक छाया रहेगा इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
कोविड-19 का खात्मा दवा से होगा
दुनिया का सामना ऐसे अदृश्य दुश्मन से है जिसका कोई आकार-प्रकार नहीं है। उसे बम, बोली, मिसाइल से खत्म नहीं किया जा सकता है। दुनिया के बड़ी-बड़ी मिसाइलें, परमाणु बम और घातक हथियार इस कोविड-19 के सामने असहाय हो गए हैं। इस दुश्मन को परमाणु बम से भी खत्म नहीं किया जा सकता। दुनिया के पास दुश्मन का खात्मा करने के लिए हथियारों का ढेर है लेकिन कोविड-19 से लड़ाई में यह सारे हथियार बेकार साबित हो रहे हैं।
इस महामारी को खत्म करने के लिए कुछ उसी तरह की 'गोली' चाहिए जैसा कि भारत ने अमेरिका सहित अन्य देशों को निर्यात किया है। मानवता के इस दुश्मन से निपटने के लिए बंदूक की गोली नहीं बल्कि दवाओं की गोली चाहिए। दुनिया को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
वायरस से लड़ने में काम नहीं आ सकते घातक हथियार
दुनिया खतरनाक हथियारों को जमा करने की अंधी दौड़ में शामिल है। अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए उसने एक से एक घातक एवं अचूक हथियार बनाए हैं लेकिन विषाणुओं या वायरस से लड़ने में वह चूक रही है। यह कोविड-19 जैसी महामारी से सबक सीखने का मौका है। इस वायरस ने मनुष्य को अपनी चपेट में क्यों लिया, इस तरफ गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
नए सिरे से सोचने का वक्त
बताया जा रहा है कि कोविड-19 वायरस जानवरों से मनुष्य में आया। वन्यजीवों से मनुष्यों में वायरस का संक्रमण होना नई बात नहीं है लेकिन इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। इसके लिए मनुष्य को अपनी आदतों में व्यवहार करना होगा। वन्यजीवों के साथ मनुष्य का संबंध कैसा हो इस पर भी विचार करने का समय आ गया है।
कोविड-19 ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया
इतना तो तय है कि मनुष्य अपनी जिजीविषा से इस महामारी को परास्त कर लेगा लेकिन दुनिया पर इसका प्रकोप जब तक रहेगा तब तक यह मानवता से बड़ी कीमत वसूलता रहेगा। कोविड-19 ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। संकट के इस दौर के समाप्त हो जाने के बाद विश्व को इसके प्रभाव से उबरने में काफी लंबा वक्त लग सकता है। इसका प्रभाव हर तरफ दिखेगा।
सरकारों एवं वैश्विक संस्थाओं को कोविड-19 जैसे खतरों का मुकाबला करने के लिए एक दीर्घकालिक एवं प्रभावी रणनीति बनानी होगी। बदले माहौल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। कोविड-19 की भीषणता एवं भयावहता को पहचानने में क्या इस वैश्विक संस्था से चूक हुई, इसकी भी पड़ताल करनी होगी।
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