Farmers Agitation: अब सियासी हो चला है किसान आंदोलन, कुछ इस तरह समझें

देश
ललित राय
Updated Jan 29, 2021 | 17:37 IST

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने कहा था कि उनका विरोध सियासी नहीं होगा। लेकिन गाजीपुर और सिंघु बार्डर से जो तस्वीरें सामने आईं उससे पता चलता है कि अब सियासी दलों की एंट्री हो चुकी है।

Farmers Agitation: अब सियासी हो चला है कि किसान आंदोलन, कुछ इस तरह समझें
पिछले 65 दिन से किसानों का आंदोलन जारी 
मुख्य बातें
  • पिछले 65 दिन से दिल्ली के अलग अलग बार्डर पर किसानों का आंदोलन जारी।
  • 26 जनवरी की घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग किया।
  • अब किसान आंदोलन का स्वरूप भी सियासी हो चुका है।

नई दिल्ली। किसान इस देश के भाग्यविधाता हैं और किसानों के हित के लिए नए कृषि कानून बनाए गए हैं। यह सरकार का कहना था और आज भी है। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि नया कृषि कानून उनके लिए डेथ वारंट है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ के करीब 40 संगठन दिल्ली की तीन सीमाओं यानी उत्तर में सिंघु बार्डर, पश्चिम में टिकरी बार्डर, और पूरब में गाजीपुर में डेरा डाल दिया। किसानों का यह आंदोलन आज भी जारी है। लेकिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर जिस तरह से दिल्ली में उत्पात हुआ उसके बाद तस्वीर बदली।

सियासी दलों का सियासी धुन
सियासी दलों ने सियासी धुन के जरिए केंद्र सरकार की घेरेबंदी की। लेकिन 28 जनवरी को गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत की आंखों में आंसू ने सियासी दलों को एक मौका भी दिया जिसका नजारा भी सामने नजर आया जब दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आरएएलडी नेता जयंत चौधरी ने टिकैत के मंच को साझा किया और सियासत से दूर रहने का दावा करने वाले राकेश टिकैत भी अपने पुराने स्टैंड से पलटते नजर आए।

28 जनवरी को क्या हुआ समझना जरूरी
दरअसल 28 जनवरी को गाजीपुर बार्डर में क्या कुछ हुआ उसे समझना जरूरी है। 26 जनवरी की घटना के बाद जब पुलिस की कार्रवाई तेज हुई तो कुछ किसान संगठनों ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया और तर्क दिया कि 26 जनवरी की घटना उन्हें भी शर्मसार करती है लिहाजा इस समय आंदोलन का कोई अर्थ नहीं है। इसी तरह से गाजीपुर बार्डर पर बीकेयू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि वो अपने साथियों को पिटवाने के लिए नहीं आए हैं और वो गाजीपुर धरना स्थल छोड़कर चले गए। लेकिन बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत का बागी तेवर बरकरार रहा।

क्या कहते हैं जानकार
यह बात अलग है कि जब पुलिस की मौजूदगी गाजीपुर बार्डर पर बढ़ने लगा तो बक्कल उतारने की धनकी देने वाले राकेश टिकैत का सुर बदला और उनके आंखों में आंसू थे। लेकिन जानकार कहते हैं कि यह उनकी सोची समझी रणनीति थी जिसे अब हर कोई समझ सकता है। गाजीपुर बार्डर पर हाईवोल्टेज ड्रामा एक तरफ चलता रहा तो दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट के जरिए यह संदेश दे दिया कि टिकैत जी हम आपके साथ हैं। इसके साथ ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी फोन पर हालचाल पूछकर यह बताने की कोशिश की उनकी पार्टी भी किसानों के साथ है क्योंकि अगले साल विधानसभा का चुनाव में यह मुद्दा विपक्षी दलों को फायदेमंद नजर आ रहा है। 

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