नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर पर पांच अगस्त 2019 के फैसले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के भारत सरकार के फैसले पर विरोध जताते हुए पाकिस्तान ने कूटनीतिक रिश्तों में कमी की। उसने दोनों देशों के बीच व्यापार पर रोक लगाते हुए कई अन्य कदम उठाए। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों ने अपने तेवरों में नरमी दिखाते हुए कुछ सकारात्मक पहल की है। इसमें सबसे बड़ी पहल सीमा पर संघर्षविराम को बहाल करना है। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों पर अटकलें लगनी शुरू हुई। दुशांबे में यह बैठक 22-23 जून को हो रही है।
भारत-पाक के रिश्तों में आई नरमी
कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर एक साथ लाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भूमिका निभा रहा है। जबकि कुछ लोगों ने इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की भूमिका होने की बात कही। रिपोर्टों की मानें तो डोभाल की अपनी पाकिस्तानी समकक्ष मोईद यूसुफ के साथ किसी अन्य देश में मुलाकात हुई लेकिन मुलाकात की इस रिपोर्ट की पुष्टि दोनों में से किसी देश ने नहीं की।
दुशांबे में 22-23 को एससीओ की बैठक
इस सप्ताह ताजिकिस्तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एसीओ) की बैठक हो रही है जिसमें दोनों देशों के एनएसए हिस्सा ले रहे हैं। इस बैठक में भारत और पाकिस्तान दोनों एनएसए के आपसी मुलाकातों पर भी अटकलें उठी हैं। हालांकि, मुलाकात की अटकलों को पाकिस्तान के एनएसए ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि दुशांबे में भारतीय एनएसए के साथ द्विपक्षीय मुलाकात होने की कोई संभावना नहीं है। एससीओ में आठ देश रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
सितंबर 2020 में डोभाल ने छोड़ दी थी बैठक
दुशांबे में होने जा रही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की इस बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर मुख्य तौर पर चर्चा होगी। अफगानिस्तान में हाल के समय में तालिबान और आईएसआईएस के हमले बढ़े हैं और यहां से नाटो की सेना वापस हो रही है। इस मुद्दों के अलावा क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर एनएसए के बीच बातचीत होगी। सितंबर 2020 में हुई एनएसए बैठक को डोभाल बीच में छोड़कर चले गए थे। दरअसल, यूसुफ की कुर्सी के पीछे पाकिस्तान का नक्शा लगा था जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को उसका हिस्सा दिखाया गया। इस पर डोभाल ने आपत्ति जताई।
कम उम्र में सत्ता के करीब आए यूसुफ
पाकिस्तान के कूटनीतिक और एनएनएस जैसे उच्च पद पर मोहम्मद यूसुफ की तैनाती चर्चा का विषय रही है। इतनी कम उम्र में यूसुफ अपनी सोच एवं नजरिए के बदौलत पाकिस्तानी सत्ता के करीब पहुंच गए। पाकिस्तान आने से पहले इन्होंने अमेरिका में कई थिंक टैंकों के साथ काम किया और दुनिया के देशों की विदेश नीति समझी। एनएसए से पहले यूसुफ राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामरिक नीतियों पर पीएम इमरान के विशेष सलाहकार रहे। यूसुफ ने बोस्टन यूनिवर्सिटी में राजनीत एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पढ़ाई की है। यूसुफ ने पाकिस्तान की विदेश नीति पर कई सुझाव दिए हैं जो उसके हित में साबित हुए हैं।
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