राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा गठबंधन से अलग हो सकते है राजभर और शिवपाल

देश
अमित कौशिक
Updated Jul 09, 2022 | 23:12 IST

समाजवादी पार्टी के गठबंधन दरार पड़ती नजर आ रही है। राष्ट्रपति चुनाव से पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव सपा से अलग हो सकते हैं। 

Omprakash Rajbhar and Shivpal singh yadav may part ways from UP SP alliance before Presidential elections
ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव 

राष्ट्रपति चुनाव से पहले यूपी में एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के गठबंधन सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह पार्टी से नाराज चल रहै है। और गठबंधन से अलग होने का फैसला कर सकते है। उनके साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी अलग हो सकते है।

हालांकि इसकी जो मुख्य वजह बताई जा रही है वो है ये की अखिलेश यादव ने विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ मीटिंग में ना बुलाना और दूसरी तरफ शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर का NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करना उसकी मुख्य वजह बतायी जा रही है।

दरअसल आपको बता दें की बीते शुक्रवार को  NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू समर्थन मागंने के लिये लखनऊ पहुंची थी। जिनका लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया था। जिसके बाद मुर्मू सीधे लोकभवन पहुंची और बीजेपी विधायकों सासंदों के साथ मीटिंग की और अपने पक्ष मे मतदान करने के लिए कहा।

तो वहीं शाम को सीएम योगी ने रात्रि भोज का आयोजन किया था। जिसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव पहुंचे थे। जिसमें दोनो नें ही NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन किया और कहा की हमारी पार्टी आपका समर्थन करती है। रात्रि भोज खत्म होने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने मीडिया से बात करते हुए कहा की हमने अपना समर्थन मुर्मू जी को देने का फैसला किया है। 

आपको बता दें की शिवपाल यादव ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा की हमें समाजवादी पार्टी की तरफ से कभी भी मीटिंग में नहीं बुलाया गया, तीन दिन पहले भी यशवंत सिन्हा यहां थे। लेकिन नहीं बुलाया गया। राजनैतिक अपरिपक्वता की कमी होने के कारण ये सब होता चला जा रहा है। और पार्टी कमजोर हो रही है, लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। मैंने बहुत पहले कहा था। जहां हमें बुलाया जाएगा, जो हमसे वोट मांगेगा हम उसे वोट देंगे। इससे पहले भी राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे। तो न तो हमें समाजवादी पार्टी ने बुलाया और न ही वोट मांगा। उस समय रामनाथ कोविंद जी ने वोट मांगा तो हमने दिया। जब मैंने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीता तो हमसे भी राय लेनी चाहिए। हमे आगे क्या करना है इसका फैसला हम 12 तारीख को करेगें।

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