नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने राजधानी दिल्ली में 12 जनपद पर आवंटित बंगले को खाली करवाने पर बड़ा बयान दिया है उन्होंने कहा है कि बेइज्जत करने की रची गई साजिश साथ ही उन्होंने आगे कहा कि मैं चिराग हूं और चिराग का अपना कोई ठिकाना नहीं होता, परन्तु चिराग जहां जाता है वहां रोशनी फैलाता है।
चिराग पासवान ने कहा था कि मैं जिस चीज का अधिकारी नहीं हूं, वह मुझे मिल भी नहीं सकता है और मैं जबरन रख भी नहीं सकता हूं, उन्होंने कहा कि हां वैसे जिस तरीके से मुझे घर छोड़ना पड़ रहा है, उस तरीके पर मुझे थोड़ी आपत्ति जरूर है।
उन्होंने कहा कि मुझे अगर बंगले का लालच होता तो जो रास्ता मैंने चुना वो मैं नहीं चुनता। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से ये घर हमशे छीना गया। हम घर खाली करने के लिए तैयार थे, उसके बावजूद इस तरह से बेइज्जत करने की साजिश क्यों रची गई।
वहीं RJD नेता तेजस्वी यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि अपने 'हनुमान' के घर में ही उन्होंने आग लगा दी। तेजस्वी ने कहा, राम विलास पासवान भाजपा के साथ आखिरी वक्त तक खड़े रहे। भाजपा को समर्थन करने का यह परिणाम है।
गौर हो कि नोटिस के महीनों बाद लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने बुधवार को 12 जनपथ बंगला खाली कर दिया जो उनके स्वर्गीय पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल संपदा निदेशालय द्वारा बेदखली का आदेश जारी किया गया था, जिसमें कई रिमाइंडर भेजे गए थे। संपर्क करने पर चिराग पासवान ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बुधवार को 12 जनपथ बंगले से लदे ट्रक निकलते दिखे।
रामविलास पासवान लंबे समय तक बंगले में रहे थे। यह बंगला लोजपा की राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में भी काम करता था और रामविलास पासवान नियमित रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे। 12 जनपथ के मुख्य द्वार के सामने रामविलास पासवान की प्रतिमा भी लगाई गई थी।
रामविलास पासवान पहली बार 1977 में बिहार के हाजीपुर से जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे। अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद पिछले साल अगस्त में केंद्रीय रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को बंगला आवंटित किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि चिराग पासवान को पहले ही सांसदों के लिए आरक्षित फ्लैट आवंटित किया जा चुका है। पासवान की मृत्यु के बाद चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच मतभेदों के चलते लोजपा दो धड़ों विभाजित हो गई।
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