Congress Bharat Jodo Yatra: सात सितंबर से शुरू हुई कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अब केरल पहुंच गई है। पार्टी की कोशिश है कि राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा उसके लिए संजीवनी का काम करें। अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही, कांग्रेस ने पदयात्रा के पुराने इतिहास और उसकी सफलता दर को देखते हुए यह बड़ा दांव चला है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ यात्रा के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने लोगो को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा दिया।
आंध्र प्रदेश में तीन नेताओं को मिली सत्ता
आजाद भारत में पदयात्राओं को देखा जाय, तो राजनीतिक रूप से सबसे सफल उदाहरण आंध्र प्रदेश में मिलता है। जब आंध्र प्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था, उस वक्त 2003 में कांग्रेस नेता वाईएस राजशेखर रेड्डी ने पदयात्रा शुरू की थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने 60 दिनों के अंदर 1500 किलोमीटर की यात्रा की थी। इस यात्रा में सूखे वाले इलाकों में उनका फोकस खास तौर से था। 11 जिलों की इस यात्रा का असर यह हुआ कि राज्य में कांग्रेस ने चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलगुदेशम पार्टी को सत्ता से उखाड़ फेंका। और मुख्यमंत्री के रूप में वाईएस राजशेखर रेड्डी की ताजपोशी हुई।
राजशेखर रेड्डी की तरह सत्ता में आने का रास्ता चंद्र बाबू नायडू ने भी चुना। उन्होंने 2013 में 1,700 किमी लंबी पदयात्रा की। और इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी सत्ता में वापसी हुई।
कांग्रेस से अलग होकर जब जगन मोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस का गठन किया तो सत्ता में आने के लिए, उन्होंने अपने पिता के रास्ते को ही अपनाया। इसके तहत नवंबर 2017 में जगन मोहन रेड्डी ने 341 दिनों की यात्रा शुरू की। इस दौरान उन्होंने 3648 किलोमीटर की पद यात्रा की। रेड्डी 2500 से ज्यादा गांवों में गए और उसका असर उन्हें चुनावों में मिला। और उन्होंने चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की। 2019 में उन्हें विधान सभा चुनावों में 175 सीट में से 151 सीटों पर जीत हासिल हुई। और 25 लोक सभा सीटों में से 22 सीटों पर जीत हासिल हुई।
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने की थी कन्याकुमारी से दिल्ली तक यात्रा
देशव्यापी यात्रा की बात की जाय तो जनता दल नेता चंद्रशेखर ने कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक पैदल यात्रा की थी। चंद्रशेखर ने 1983 में पदयात्रा की थी। । उस यात्रा को भारत यात्रा नाम दिया गया था। हालांकि उस यात्रा को उन्हें गैर राजनीतिक बताया था। उनकी यात्रा 6 जनवरी 1983 को कन्याकुमारी से शुरू हुई 5 जून 1984 को दिल्ली के राजघाट पर खत्म हुई थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने पीने का पानी, सबको शिक्षा, कुपोषण से लड़ाई, स्वास्थ्य का अधिकार जैसे मुद्दों पर फोकस किया था।
इस यात्रा से चंद्रशेखर को तात्कालिक कोई फायदा नहीं पहुंचा था। लेकिन उनकी पहुंच पूरे देश में हो गई थी। और दक्षिण भारत में जनता दल का विस्तार हुआ। कर्नाटक में आज जेडी (एस) की मजबूत स्थिति की एक वजह, वह यात्रा भी है। इसके बाद चंद्रशेखर साल 1990 में देश के 8वें प्रधानमंत्री बने। और बाद में गठबंधन के दौर में कर्नाटक से जनता दल नेता एच.डी.देवगौड़ा भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे।
नर्मदा यात्रा
कांग्रेस नेता और मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने साल 2017 में नर्मदा यात्रा की थी। 6 महीने तक चली यात्रा में दिग्विजय सिंह ने 110 विधानसभाओं का दौरा किया था। इस यात्रा का ही असर था कि कांग्रेस की 2018 में एक दशक बाद सत्ता में वापसी हुई थी। और उसे 114 सीटें मिलीं थी। हालांकि बाद में पार्टी में टूट के कारण, पार्टी के साथ से सत्ता चली गई।
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