Supreme Court में बहुविवाह- निकाह हलाला से संबंधित याचिका, दशहरे बाद होगी सुनवाई

Supreme Court: पांच जजों की इस पीठ में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया हैं। पीठ ने केंद्र, राष्ट्रीय महिला आयोग, अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग, NHRC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Petition related to polygamy Nikah Halala in Supreme Court hearing will be held after Dussehra
सुप्रीम कोर्ट में बहुविवाह- निकाह हलाला से संबंधित याचिका। (File Photo) 

Supreme Court: ट्रिपल तालक को "असंवैधानिक, स्पष्ट रूप से मनमाना, लिंग भेदभावपूर्ण और समानता के अधिकार का उल्लंघन" के रूप में प्रतिबंधित करने के पांच साल बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को मुसलमानों के बीच बहुविवाह और 'निकाह हलाला' की प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली नौ याचिकाओं पर सुनवाई की। 

सुप्रीम कोर्ट में बहुविवाह- निकाह हलाला से संबंधित याचिका

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पांच जजों की इस पीठ में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया हैं। पीठ ने केंद्र, राष्ट्रीय महिला आयोग, अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग, NHRC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ मामले में दशहरे के बाद सुनवाई करेगी।  

दशहरे के बाद सुनवाई करेगी पीठ

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने साल 2018 में ही कहा था चूंकि उठाए गए मुद्दे "बहुत गंभीर और महत्वपूर्ण" हैं, इसलिए ये मामले को पांच या अधिक न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ को संदर्भित करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक के फैसले में बहुविवाह और निकाह हलाला के दो मुद्दों को खुला छोड़ दिया था और कहा था कि इसकी वैधता की जांच बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान पीठ द्वारा की जाएगी।

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शरिया या मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार पुरुषों को बहुविवाह करनी की अनुमति है कि वे एक ही समय में एक से अधिक पत्नी रख सकते हैं और वह एक साथ कुल चार पत्नियां तक रख सकते हैं। निकाह हलाला तलाक की घटनाओं को रोकने के लिए एक प्रथा है, क्योंकि इसके तहत एक पुरुष अपनी पूर्व पत्नी से दोबारा शादी नहीं कर सकता जब तक कि वह किसी अन्य व्यक्ति से शादी नहीं करती, शादी को समाप्त नहीं कर लेती, तलाक नहीं लेती और इद्दत नामक अलगाव की अवधि का पालन नहीं करती। 

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