Petrol diesel Price: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी है आग लेकिन नहीं बन पा रहा राजनीतिक मुद्दा, आखिर क्यों

देश
ललित राय
Updated Jul 17, 2021 | 08:40 IST

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आग लगी हुई तो सियासत में भी उबाल है, राजस्थान की राजनीति में गर्मी पैदा करने वाले सचिन पायलट ने निशाना साधा। लेकिन यह राजनीतिक मुद्दा नहीं बन पा रहा है।

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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी है आग 
मुख्य बातें
  • पेट्रोल की एक्साइज ड्यूटी में 250 फीसद और डीजल में 500 फीसद का इजाफा- सचिन पायलट
  • सात साल में सरकार को पेट्रोल- डीजल से 25 लाख करोड़ की कमाई
  • केंद्र सरकार कांग्रेस द्वारा जारी ऑयल बांड्स को बताती है जिम्मेदार

petrol diesel price: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आग लगी है तो सियासत में भी उबाल आ गया है। हर एक दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की खबरें आती है। इस संबंध में राजस्थान की राजनीति में उबाल लाने वाल सचिन पायलट की टिप्पणी दिलचस्प है। उनके मुताबिक देश के 250 शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 के पार है, यह कल्पना के बाहर है। अगर इस साल की बात करें तो पेट्रोल की कीमत में अब तक 66 बार इजाफा किया गया है। 

सचिन पायलट ने क्या कहा
सचिन पायलट कहते हैं कि अगर सरकार के आंकड़ों को देखें तो पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी को 250 फीसद बढ़ाया गया है इसके साथ ही डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी को 800 फीसद बढ़ाया गया है। इस बढ़ोतरी से सरकार को पिछले सात साल में 25 लाख करोड़ की आमदनी हुई है, यह आम लोगों की जेब पर सीधे डाका डालने से कुछ कम नहीं है। 


क्या है एक्सपर्ट्स राय

अब सवाल यही है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है और यह मुद्दा नहीं बन पा रहा है। इस सवाल के जवाब में जानकार कहते हैं कि इसके पीछे दो बड़ी वजहें हैं। पहला तो ये कि केंद्र या राज्य में सरकार किसी की भी हो सबको लगता है कि यह दुधारू गाय है, इसके जरिए खजाना कभी खाली नहीं हो सकता है, लिहाजा विरोध की आवाज दरकिनार कर जाती है और तरह तरह के तर्कों के जरिए अपनी सफाई पेश की जाती है। अगर आप मौजूदा सरकार को देखें तो एक तर्क दिया जाता है कि कांग्रेस शासन के दौरान ऑयल बांड जारी किए गए थे और उसका भार मौजूदा सरकार को सहन करना पड़ रहा है। इस तरह के तर्क के जरिए सरकारें अपने लिए सुरक्षा करती हैं और विपक्ष को कठघरे में खड़ी कर देती हैं। 

इसके अलावा जिस जरह से सरकारी गरीब कल्याण की योजनाएं चला रही है उसके लिए पैसों को जरूरत होती है। अब सेल्स टैक्स का जब से केंद्रीय पूल में अंशदान घटा है उसके बाद से सरकार को लगता है कि उसकी भरपाई पेट्रोल और डीजल के जरिए ही की जा सकती है। इसलिए विरोध को नजरंदाज किया जाता है। इसके साथ साथ ही सरकार के पास अंतरराष्ट्रीय जगत में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का तर्क पहले से ही मौजूद होता है। हालांकि इसमें तथ्य कुछ और नजर आते हैं। 

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