चरखा चलाकर विरोधियों को दे गए पीएम मोदी बड़ा संदेश, ऐसे समझें

देश
ललित राय
Updated Aug 27, 2022 | 19:13 IST

पीएम नरेंद्र मोदी खादी महोत्सव के दौरान खुद चरखा चलाते नजर आए। चरखा चलाने के बाद उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के आदर्श उनके लिए सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं हैं।

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खादी महोत्सव में पीएम नरेंद्र मोदी 
मुख्य बातें
  • अहमदाबाद में खादी महोत्सव में पीएम मोदी ने लिया हिस्सा
  • खादी को भारत की संस्कृति बताया
  • दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं पीएम मोदी

सियासत में संकेतों का अपना अलग महत्व होता है। संकेतों के जरिए राजनीतिक दल अपने विचारों के बारे में भी जनता को जानकारी देते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वो जनता के मूड को भांप लेते हैं या यूं कहें तो समझते हैं कि जनता क्या चाहती है। मौका अहमदाबाद में खादी महोत्सव का था और पीएम मोदी खुद चरखा चलाते नजर आए। सैकड़ों की संख्या में महिलाओं के बीच चरखा कात उन्होंने संकेतों के जरिए विरोधियों को संदेश दे दिया कि महात्मा गांधी सिर्फ उनके लिए शब्दों में नहीं हैं बल्कि महात्मा गांधी के आदर्शों को वो जमीन पर जीते भी हैं। चरखा कातने के बाद उन्होंने कहा कि मेरे घर में भी चरखा है और मेरी मां भी चरखा कातती थीं। 

खादी महोत्सव में पीएम ने क्या कहा

  • इतिहास साक्षी है कि खादी का एक धागा, आजादी के आंदोलन की ताकत बन गया, उसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया। खादी का वही धागा, विकसित भारत के प्रण को पूरा करने का, आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का प्रेरणा-स्रोत बन सकता है।
  • 15 अगस्त को लाल किले से मैंने पंच-प्रणों की बात कही है। साबरमती के तट पर, इस पुण्य जगह पर मैं पंच-प्रणों को फिर दोहराना चाहता हूं। पहला- देश के सामने विराट लक्ष्य, विकसित भारत बनाने का लक्ष्य दूसरा- गुलामी की मानसिकता का पूरी तरह त्याग।तीसरा- अपनी विरासत पर गर्व चौथा- राष्ट्र की एकता बढ़ाने का पुरजोर प्रयास पांचवा- नागरिक कर्तव्य।

  • आजादी के आंदोलन के समय जिस खादी को गांधी जी ने देश का स्वाभिमान बनाया, उसी खादी को आजादी के बाद हीन भावना से भर दिया गया। इस वजह से खादी और खादी से जुड़ा ग्रामोद्योग पूरी तरह तबाह हो गया। खादी की ये स्थिति विशेष रूप से गुजरात के लिए बहुत ही पीड़ादायक थी।
  • हमने खादी फॉर नेशन, खादी फॉर फैशन में खादी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन का संकल्प जोड़ा। हमने गुजरात की सफलता के अनुभवों का देशभर में विस्तार करना शुरु किया। देशभर में खादी से जुड़ी जो समस्याएं थीं उनको दूर किया। हमने देशवासियों को खादी के product खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • भारत के खादी उद्योग की बढ़ती ताकत के पीछे भी महिला शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। उद्यमिता की भावना हमारी बहनों-बेटियों में कूट-कूट कर भरी है। इसका प्रमाण गुजरात में सखी मंडलों का विस्तार भी है।
  • खादी sustainable clothing का उदाहरण है। खादी eco-friendly clothing का उदाहरण है। खादी से carbon footprint कम से कम होता है। बहुत सारे देश हैं जहां तापमान ज्यादा रहता है, वहां खादी Health की दृष्टि से भी बहुत अहम है। इसलिए खादी वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है।
  • मैं देशभर के लोगों से एक अपील भी करना चाहता हूं। आने वाले त्योहारों में इस बार खादी ग्रामोद्योग में बना उत्पाद ही उपहार में दें। आपके पास अलग-अलग तरह के फैब्रिक से बने कपड़े हो सकते हैं। लेकिन उसमें आप खादी को भी जगह देंगे, तो वोकल फॉर लोकल अभियान को गति मिलेगी।

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी के भाषण के अंशों को देखें तो एक बात साफ है वो बहुत ही खूबसूरती के साथ गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपनी बात रख रहे थे। जब उन्होंने कहा कि मेरे घर में चरखा है और मेरी मां चलाती हैं तो उसके जरिए उन्होंने महिला शक्ति को संदेश दिया कि उनके लिए वो कितना महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही बिना नाम लिए कांग्रेस को भी संदेश दिया कि गांधी पर एकाधिकार सिर्फ उनका नहीं है। गांधी पर हक सबका है और जब वो गांधी के बारे में कुछ कहते हैं तो वो सिर्फ शब्दमात्र नहीं बल्कि जिंदगी में अमल में लाने की कोशिश भी करते हैं।

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